सात सहेल्यां रे झूलरे, पणिहारी जीयेलो मिरगानेणी जीयेलो
पाण्यू चाली रे तालाब, बाला जो
काळी रे कळायण उमडी ए*पणिहारी जीयेलो, मिरगानेणी*जीयेलो,
छोटोडी बूंदां रो बरसे मेह, बालाजो।
आज धराऊं धूंधलो ए पणिहारी..........
मोटोडो धारां रो बरसे मेह, बाला जो।
भर नाडा भर नाडयां ए पणिहारी..........
भरियो-भरियो समंद तलाब, बाला जो।
सुणल्यो सहेल्यो म्हारी भायल्यो
सुपनो जी आयो आधी रात
सहेल्यो थानें सुपनों सुणाऊं ए २
नौ तो कुआ दस बावड़ी भरिया ताळ तळाब
सुपनें में मैं तो सासरियो देख्यो ए २
ऊँची मेडी चढ़ चली गढ़ छूवै असमान
सासरियो म्हाने बाल्हो लाग्यो ए २
मायड़ सी म्हारी सास छी बाबुल सा ससुर सुजान
नणदली म्हारे घणी मन भाई ए २
सेज बिछी रंग महल में फूलां स्यूं सेज सजाई
पियाजी रंग महल्याँ पधारया ए २
मधरी-मधरी चाल छी होठां पे मुस्कान
पियाजी म्हारे घणा मन भाया ए २
घूंघटो उठायो म्हारो प्रेम से नैणा स्यूं नैण मिलाय
पियाजी म्हारे नैणा में समाया ए २
पलकां झुकी म्हारी लाज स्यूं होठां स्यूं बोल्यो नाहीं जाय
पियाजी म्हानें अंग लगाया ए २
पाछे सुपनों टूटग्यो, रहगी अधूरी आस
सहेल्यां थाने अब के सुणाऊं ए २ स्थाई
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