Saturday 10 September 2011

बूढो मरतंग

जीवा री बूढी मां आज सरग सिधाय गी। घर मांय सगला लुगाई टाबर रोवण लागा। जीवो पण मां रे सागै सागै उमरी गरीबी ने भैलो रोवे हो। उणरै माथै जाणै भाखर पड़गौ। पण बाती कीं भाखर सूं बैसी ही। घर मायं बूढो मरतंग अर समाज री कोजी रीत रे पांण मां रे लारे चोखो लगावण री रीत।

जीवो मेङणत मजूरी कर नीठ डाबरां रो पेट पालै। उणरै कनै मजूरी रे सिवा कीं दूजा आजोग नींह ही। पांच टाबरां रो पेट भरणो अर मां री चाकरी बींनै गला तांई दबाय दियो हो।

जीवो मेलावा रे भैलो जोर जोर सूं बांग देतो थको मां ने रोवे हो। जीवा ने रोवता सुण गांव रा मिनख भेला हुग्या। सगला जीवा ने थथोबे हा। कुण ई कैवे-घ्भई जीवा छानो रह भाई, ओ तो बूढ़ो मरतंग है, ब्याव जिसी बात है। थारे हाथ सूं चाकरी करी अर थांरा कांधा सूं सुरग पूगगी इण सूं बैसी मायतां रै खातर कांई व्है सकै?'


कुण ई कैवे-घ्भई जीवा घर में बूढो मरतंग है, लारै चोखौ लगाईजै भलो।'कुण ई कैवे-घ्जीवा थारी गवाड़ी बडेरा सूं खरच खाता आली मानीजै, इण खातर घर में बूढो मरतंग अर चोखो लागवण रो ईसौ मौको फेरूं ना आवै भलो।'
जीवो सगलां री सुणै पण करै कांई? उणरी गरीबी घर रा चारूं खूणा मांय गतोला खावै ही। समाज में चोखो लगावण री रीत अर घर मांय बूढो मरतंग।

गांव रा मिनख लुगायां बूढा बडेरा जीव रे घरां बैसण आवै। सगला मां रे लारे चोखो लगावण री भुलावण देय नै जातै रैवे।

कुण ई आ नीं कैवे के जीवा थूं चि ंता मत कर पांच पचीस म्हारै सूं ले लिया। गांव रो एक ठेकदार जद आ बात सुणी तो जीवा रे घरां बैसण आयो। ठेकेदार ने घरां आवता देख जीवो मां ने रोवण लागो। ठेकेदार जीवो ने थथोबो दियो।

जीवो बोल्यो-घ्ठेकदार सा आप म्हारै घरां पधारिया, म्हारा मोटा भाग।'ठेकेदार कैवण लागो-घ्भई जीवा दुख मांय मिनख मिनख रे इज काम आवै। म्हैं आ कैवण आयो हो के पांच पचीस री जरूरत पड़ै तो थूं पाछो मत जोई भलो। घर मांय बूढो मरतंग है, ईसौ मौकौ फेरूं नीं आवै। मां रे लारे चोखो लगाईजै भलो।'

जीवो बोल्यो-घ्ठेकदार सा म्हारै कनै तो गिरवै राखण सारू कीं नीं है। घर मांय फाट्योड़ा पूर अर दो चार जूना पातला वासण-दो थाली परात अर माट री हांडी रे सिवा कीं नीं है। दागीणो तो अजै तांई म्हैं देख्यो ई कोनी।'

अरे! थूं इयां पाछो कियां जौवे है'ठेकदार बोल्यो। थारे आलै मोटेड़े छोरे ने म्हारै साथै मेल दिया। थांरी मां रे लारे रो सगलो खरचो म्हैं दे देस्यूं।'

जीवो ठेकेदार रा बोल सुण ऊंडा विचारां मे डूबगो। ठेकेदार ह्यो-घर मांय बात कर लीजै, काल पाछो मिलसूं। ठेकेदार रे वास्तै ओ एक सौवणो मौको हो। 


घ्हां तो कांई विचार राख्यो भई जीवा?'दूजै दिन फेरूं जीवा रे घरां बैठतो थको बोल्यो। ठेकेदार सा! म्हनै तो कीं एतराज कोनी पर छोरी री मां...।देख भई जीवा घर रा सगला ऊंदरा मिनकी राजी व्हैणा चाईजै। घर मांय सावल समझायदे थांरी लुगाई ने के बारै गया थांरो छोर हुस्यार व्है जासी। ठेकेदार कीं जोर सूं बोल्यो। घ्ठेकदार सा, म्हैं घणा गरीब हां अर म्हारै छोरो पण एक इज है। छोरी री उमर दस बारा बरसां रे लगै टगै इज है। म्हारै छोर्यां पण चार है।'जीवा हाथ जोड़तो थको बोल्यो। आछो भई-मरजी थारी पछै मत ना कईजै के ठेकदराजी म्हारी की ईमदाद नीं करी।

घ्दस बारा दिनां पछै म्हैं जावूंलो थूं एक बार फेरूं विचार कर लिया।'ठेकेदार बोल्यो अर धोती रो पल्लो झाड़तो थको बैठो व्है गियो। बीं रात जीवा अर उणरी लुगाई री आंख्यां में नींद नाव नीं ही। कनै निधड़क सूता दस बारा बरस रो बेटो भीमौ अर च्यारूं बेट्यां ने फोट्योड़ी आंख्यां सूं देखता देखता रात निकलगी अर ठाह ई नीं पड़ी।
जीवो दोन्यूं कात्या बिचालै फसगौ हो। बो डफलीजगो। घर मायं बूढो मरतंग अर एका एक छोरा ने ठेकेदार ने सुपरत करणौ।

दिनूगै जीवो फेरूं भीमा री मां ने पूछ्यो-घ्थूं कांई विचारियो? ठेकेदार पांच हजार तो अबार ई दे देसी। म्हनै तो ईणमे कीं खोट नीं लागै। दो बरसां रीज तो बात है। हां करता निकल जा ीस दो बरस तो! घर मांय बूढ़ो मरतंग है, लारे चोखो ल्याग जासी। ठेकेदार घरां आय सांमी बतलाया है, ईसो मौको फेरूं नी मिलै।'

घ्ए ठेकदार जी म्हारा बेटा ने कठै ले जासी?'कीं अत्तो पत्तो रैसी उणरो'जीवा री लुगाई बोली। घ्बे कैवे हा के कनै एक स्हैर में कारखानो है बठै काम पर लगासी'जीवो पडूत्तर देतो थको बोल्यो।

जीवा री लुगाई जीवा रे आगे किंया पग दैवे ही बा फगत इतरो कैयो के म्हारा बेटा ने म्हनै मिलता रईजो, बस! म्हारी आंख्या लरो तारो है बो..। समाज री कोजी रीत ने निभावण सारू दुखी मां कालजा माथै भाटो राख'र बेटा ने ले जावण री हामी भर दी। पण उणरो कालजो मांय सूं फाटै हो।

ठेकेदार जीवा ने पांच हजरा रिपिया रोकड़ा गिणाय दिया। जीवो उणरी मां रे लारे पूरा चोखला ने भोज दियो। बूढो मरतंग हो इण सारू भोज पंच पटेलां री आस मुजब बणायो गयो।जीवा रो नांव पूरा चोखला मायं ऊंचो व्हैगो।

जीवो ठेकेदार रे घरां जावे पण बठै तो दिन रात तालो लटकतो निजर आवै। जीवा री लुगा ी रोय रोय आंख्यां रो नास कर दियो। बा बेटा ने देखण खातर रात रा पण सुपना मांय आ आस राखै। बा आस पण पूरी नीं व्ही।एक दि आ ठाह पड़ी के ठेकेदार जिण घर मायं रैया करतो, बो तो भाड़ा रा घर हो। जीवा रै जाणै पगां हेठेकर जमी सरकगी। जीवा री लुगाई रोवे-कुरलावै अर जीवा ने कैवे-घ्था म्हारा बेटा ने बेच दियो। म्है े पैली कैवे ही के औ ठेकेदार गलत निरजां रो मिनख है। म्हनै म्हारो भीमो पाछो लाय दो। म्हैं उणरे सिवा नीं जीव सकूं।'



जीवो रो कालजो उणरा बैटा खातर हिलोरा खावै हो। भीमा ने ठेकेदार साथै गया सात-आठ महिना व्हैगा। ओजूं कागद पण नीं आयो। बो कठै है? अर किंया है? कीं समाचार नीं मिल्या।

आ गरीबी अर समाज री कोजी रीत म्हारा बेटा ने गमाय दियो।

जीवो बेटा सारू घणा जतन करिया। अखबारां में छापा छफाया पण नतीजो कीं नीं मिलोय। मां अर बाप बेटा रा विजोग में गैला गूंगा व्हैगा।

समाज रा पंच पटेल अर दूजा दीवा ने मां रे लारे चौखो लगावण री भुलावण देवता। बे आज जीवा ने याद पण नीं करै।

जीवा री जियंा घणकरा परिवरां ने औ ठेकेदार गरीबी री दसा अर समाज री कोजी रीतां रे कारण रिपिया रो लोभ देय उजाड़ दिया हा। एक दिन जीवो सिरेपंच रे कनै पूग्यो अर सगली बंतल करी। सिरेपंच थाणा में जाय रपट लिखा ी, जीवां ने कीं आस बंधी। 

थाणेदार जीवा ने थाणा मायं बुलायो। सगली बात सुणी तो बो सांमी जीवा ने आंख्या बतावण लागौ अर ऐक हजार रिपिया लावण रो कह थाणे सूं बारै कर दियौ।

जीवो थाणा रै बारै ऊभो आंसूड़ा नितारै हो के घरां लुगाई ने कांई जवाब देस्यूं।

अबै जीवो थाणो सूं सगली आस छोड़ दी। बो एक नेताजी सूं मिलण रो विचार कर स्हैर पूग्यो। नेताजी रै घरयां जाय बो हाथ जोड़ अरदास करण लागो।

नेताजी बोल्यो-जीवा..ओ मुद्दो तो ऐसेम्बली मांय गूंजे जिसो है। थांरी अरदास राजधानी तांई पूगसी।'

नेताजी री बात सुणतां ई जीवा रे मुंडा माथै नूर वापरियो। बां मन में विचारियो अबै तो म्हारो बेटो जरूर आ जासी।

कैई बरस बीतगा घणकरा थाणेदार बदलगा, राज बदलगा पण जीवा री आस आज तांई जणा जणा सूं अरदास करती निजर आवै।

अबै दोन्यूं धणी लुगाई बूढ़ा व्हैगा। बेट्यां मोट्यार व्हैगी, हाथ पीला करण जोगी व्हैगी। आज भीमो जीवा रे कनै व्हैतो तो उणरै बुढापा रो सियारो बणतो। पण समाज री आ कोजी रीत अर गरीबी जीवा रा एका एक बेटा ने मां बाप सूं अलगौ कर दियो। भैणा भई रे खातर आंसूड़ा नितारै ही।

पता लोग सूं दस पन्द्रै बीत्यां भीमो ठेकेदार रा जाल सूं छूट छानो मानो गावं पूगगो।

अंधारी धुप्प रात भीमो घर रो बारणो खुट्कायो। जीवा अर उणरी लुगाई री आंख्यां सूं नींद तो लारला दस पन्द्रे बरसां सूं नैड़े ई नीं आवै ही। बारणा री खट् खट् सुण दोन्युं धणी लुगाई बारणा सांममी दौड़या। सायत सुपना रो बहम व्हैला। थोड़ी ताल सूं बारणो फेरूं खट् खट् बाज्यो। जीवो आगल सरकाय बारणो खोल्यो तो बारै एक पच्चीस बरस री उमर जोध जवान। दोन्यूं धणी लुगाई उणरा बेटा ने नीं ओलख सक्या। बोल्या-घ्कुण होवे सा'म्हैं थारो भीमो मां बापू। ओ म्हैं थारो भीमो हूं। इतरो सुणता ई भीमा री बमां बेटा ने गले लगाय धणी रोई। आज उणरी खुसी रो पार नीं हो। मां रो आचल आसुंवा सूं तर व्हैगो। भीमना रा मां बापू, बेटा रा विजोग में साव दुबला पण व्हैगा हा। जीवो मांदो रैवण लागगो हो। बरस ऐक रै पछै जीवो पण सुरग सिधाय गियो। भीमो उणरा बापू ने कांधो दे पुरखां री रीत रो दस्तू करयो पण अबकै वो जीवा रे लारे चोखो लगावण आली लोगां री भुलावण ने अंगेज नीं करी। ि ण कोजी रीत ने बंद करण रो बंद करण रो बीड़ो उमरा घर सूं उठाय लियो। जो गलती जीवो किवी वा गलती भीमो करण ने मंजरू नी हो। भीमो समाजरा पंच पटेलां री आख्यां में खटकण लागो। भीमा ने समाज में घणी मानता नीं देवता। भीमो भरांत राखण री रपट दो चार लूंठा लूंठा पंचा रे नांव सूं मानवाधिकार आयोग में दर ज कराई तो घणकरा भीमा रे सांमी व्हैग अर इण कोजी रीत ने छोड़ण री आवाज उठाई। बखत पाण सगलो समाज भीमा री बात अंगेज कर ली क्यूंकै इणें एकला भीमा रो कीं सवारथ नीं हो। इण कोजी रीत ने त्याग करण सूं घणकरा घर उजड़गा बचगा।

No comments:

Post a Comment

Rajasthan GK Fact Set 06 - "Geographical Location and Extent of the Districts of Rajasthan" (राजस्थान के जिलों की भौगोलिक अवस्थिति एवं विस्तार)

Its sixth blog post with new title and topic- "Geographical Location and Extent of the Districts of Rajasthan" (राजस्थान के ...