Friday, 9 September 2011

पराई थाली में घी घणौ दीखै

सवार रा चार बज्यां भाखफाटी रौ कूकड़ो बोल्यो, तो दीपा री आंख खुली। उणरा दोन्यूं टाबर कनै निधड़क उंडी नींद मांय सूत्या हा। उणनै याद आयो के आज तो करवा चौथ री एकासणौ है बेगौ सी घर रौ सगलौ काम पूरौ करणौ पड़सी पण चाणचक उणरै माथा मांय एक बटीड़ उछलमियो अर चेतौ आयो के बा किणरो एकासणो करसी? उमरी मांग रो सिन्दूर तो आज सूं छव मीनां पैली उजड़गो हो। उणरे नैणा सूं पाणी री धारोला फूटण लागी। दीपा बैठी बैछी बीती (जूनी) बातां नै चितारण लागगी। सामी भींत माथे लटकायोड़ा धणी रा फोटू नै पण इकलंग निरखण लागगी।


दीपा रौ धणी पूरण राज रौ नौकर हो। दीपा रौ नैनो सो मेलावो बेटो, बेटी अर धणी चारूं धणा हेत सूं रे वै हा। पूरम उणरी कम आमद व्हैता थका टाबरां अर दीपा री हरेक आस पूरी करण रा जतन करतो। मैलाव नै कदै ई बैराजी नी करतो।


एक बरस पैली पूरण रै कनला घर मांय भाड़ाय ती लोग लुगाई आया हा। बे दोन्यूं धणी लुगाई पण किणी कंपनी रा नौकर हा। दीपा रा हेत अर हंसोकड़ स्वभाव रै पाण पाड़ ़ ोसम उरमी सूं ओलख व्हैगी। उरमी रा कड़ स्वभाव रै कारण उणरौ धणी रामचन्द्रन घर रा काम मांय उणरौ पूरौ साथ दैतो। दीपा पण उणरी देखा देखी पूरण सूं इसी आस राखण लागी। इया तो पूरण ने नो मोटा काम ठेट सूं ई करतो हो। पर आ कैवत है के गोरिया रे कने धोलियो बंध तौ रंग नीं तो लखण में लारै क्यूं रै? आ ईज कैवत दीपा माथै सांगोपांग निंगै आई।

एक दिन दीपा उणरा धणी पूरण सूं कैवल लागी घ्थे पण थोड़ो मिनखपणो सिखोनी..देखो कनेला घर मांय लोग लुगाई कितरा राजी रैवे। दोन्यूं हिल मिल घर रौ काम करै अर लुगाई सूं कितरो हेत राखे?

पूरण उणनै थ्यावस देतौ थकौ कैवण लागो, दीपा आपणा घर मांय सुख सांयती है दूजा नै देखर होडा होडनी करणी चाईजै। बे दोन्यूं धणी लुगाई नौकरी करै है, इण बास्तै दफ्तर भखतसर पूगण सारू आप आप रो काम ईज तो निवेड़ै है, बो फेरूं क्होय दीपा थूं तो घरेईज रैवै, कुणसी नौकरी करै अर इंया म्हैं किसा दफ्तर सूं बावड़िया पछै ठालो बैठो रेऊं हूं। दीपा आपां नै पराई थाली रौ घी नी देखणो चाईजै। आ कैवत है के घ मांय भले कोठियां भरी व्हो पर पराई थाली रौ घी घणौ नींगे आवै। दीपा तो कीं बोली न चाली मूंडौ चढार बैसगी।

अदितवार रौ दिन हो दीपा अर उरमी हथाई में रमियोड़ी ही। उरमी उणरा धणी रा बखाण रैय रैय नै दीपा रै सांमी कर रही ही अर दीपा सूं भांत भांत रा सवाल करै ही..दीपा कांई थारो धणी थारी बात नी माने? म्हारो धणी तो दैवता सरीखो मिनख है म्हारो कह्यो ई नी लोपै। दीपा अणमणा मन सूं फखत सुणती री अर धणी नै मन मांय गालियां काढण लागी। दीपा आपां आप नै अभागण मान बैठी ही। बा कैवण लागी घ्उरमी थू कितरी भागधारी लुगाई है जको थने देवता सरिखो धणी मिलगो। अर म्हैं..धाणी रौ बलदियो..?

उरमी फेरूं बासदी रा तुंगीया न्हाखती थकी कैवण लागी, घ्म्हारी मानै तो थारौ धणी पण म्हारै आलै रै जिंया सैणी गाय व्है सकै पर मुरी थां रै हाथ में ईज है। मुरी नै थोड़ी आती करर राख। म्हारौ कैवण रौ मतलब बा उणरै कांन मांय कीं छांनी बातां कैवण लागी।ङ कुंठित दीपा रै चित मायं उरमी री बातां अंगोपंग लागगी अर धणी पूरण नै पाट पढ़ावण रौ पूरौ मंसूबौ बणा लियो। थोड़ा दिनां पछै ईज दीपा तो पूरम सूं छोटी मोटी बात माथै आडाखेड़ी करती आवल कावल बोलण लागी। केई केई दिनां तांई तो दोन्यूं अबोला ई व्है जाता। दीपा रै इण बदलिया रूबाव नै देख पूरण रै पगां हेठै कर जमी सरकगी।

एक दिन रात रै बखत पूरण रौ डील भारी व्हैगो। वींनै ताव आयगो हो। डील लाय री दाई बलै हो। दो तीनेक कांबल ओढर सूतो हो।उणने तीरस लागी तो दीपा नै पाणी रौ लोटो लावण सारू चारेक हेला पाड़या पर बा तो दूजा ओरा मांय निधड़क सूती ही। उणरे कानां माथै जू तक नी रैंगी।

पूरण रो गलो तिर रै कराण सूखै हो पर कांई व्है? पूरण जियां तिंया उठर कनला ओर मांय भींता रा अडखण लेतो थको गयो अर दीपा रौ हाथ पकड़ उठण री कैयौ तो ई बा ततो बिफरी अर बिना विचारे बकण लागी। पूरण बोल्यो थूं म्हनै अजै ओलखी कोनी कांई? म्हैं रमतियो कोनी हूं। जको थूं चावै जणा..? दीपा फाटै मूंडै बोलती जाय रही ही। पूरण तो दीपा रौ ओ रूप देख फेरूं डाफाचूक व्हैगो अर दूजा माचा माथै पड़गो।

दीपा रै बदलवै रूबाब नै देख उणरौ कालजौ जगा छोडण लागो। दुख रौ कीं थाग तो व्है। बो गला तांई धापगौ हो। फेरूं होलै से बोल्यो, घ्दीपा म्हारो डील ताव सूं उफण र्हो है सफाखानै जाणो पड़सी अर सोरौ दोरौ फटफटियो ले सफाखाना कानी व्हीर व्है गियौ।ङ घर सूं पचासेक पांवलडा माथै ईज एक जोर रौ हबीड़ बाज्यो, ताव मांय चेत चूक व्हियोड़ौ सांमी आवती ट्रक सूं भचीड़ खायगो हो। हबीड़ सुणता ई दीपा बारै न्हाठी तो देख्यो पूरम रौ फटफटियो ट्रक रै हेठै बड़गो हो। पूरम पैड़ा हेठै किचरीजगो हो, सड़क माथै लोही री नदी बेवण लागी। दीपा फाटी आंख्यां सूं नजारो देख्यो तो बा मोरनी रै जिंया कुरलावण लागी। दीपा रौ चित ठाणै आयगौ हो, बा भींतां सूं भचीड़ लागी पर अबै कठै पूरम अर बो मांग रौ सिन्दूर। हरियो भरियो सुन्दर बाग आंख्यां रै सांमी उजड़तौ देख्यो हो।

आज पूरण री बा कैवत याद करै, दीपा पराई थाली रा घी नै देख उणरी आस में घर रौ नास नीं करणौ। दीप रा दुख सूं अणजाण आज उमरी करवा चौथ रा एकासाण री सराजाम में लाग्योड़ी ही।

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