Saturday 10 September 2011

वंस रो बधापो

मोवनी आज घणी रोई, कुरलाई पण उणरा आसूं ओढञनी रे पल्ला मांय, दबर रैगा। आदत सूं लाचर जुआरी अर दारूडियो कनै उणरी मोट्यार बेटी मोवनी ने बेचण रे सिवा दूजो कीं उपाव नीं हो। बो जुवा मांय कीं रकम री एवज मांय उणरी लाड़ली अर मोबी ने फेरू कीं दारू जोगा पईसा लेयनै टीकम ने सुपरत कर दीनी ही। मोवनी री उमर सत्रेक बरस व्हैगली। टीकमो मोवनी ने आपरे बेटा विरमा खातर ल्यायो हो। महोवनी राेती धोती (साड़ी) पैरियोड़ी विरमा रे गांव पूगी तो आस-पड़ौस री लुगायां देखती रहगी, पण उणरी आंख्यां रा आंसुड़ा अजै टूटण रो नांव ई नीं लैवे हा, हिरणी जिसा नैण, पतली नाक, गोल गट्ट उणियारो गुलाबी भरिया भरिया गाल, गुलाब री पांखडिया जिसा होठ, बा जाणे सुरग री परी लाग रही व्है।  

मोबवनी और मांय बैठी एकली रोवे ही। पल्लो आसुवां सूं तर व्हैगो हो। निचौवे जिसो। उणरो हियो हबोला लेय रह्यो है-के कांई बा इण भात रा बप्याव सूं सुखी व्है सके। कांई ओ अणजाण घर अर वर बो भी दुगणी उमर रो, दुख देय सकेला। कांई समाज में म्हनै बो सनमान मिलेला जो एक परणेत लुगाई ने मिलै..? रोवती जावै विचारती जावै। बा कितरी चोखी बणर रैवण रा जतन करै पण कैवीजैला जुआ री हारियोड़ी बेटी। बा उंडा विचार मांय डूबी रही अर फेरू विचारां सूं बारे आई अम मन में ठाण लियो के खरीदी लुगाई पतिव्रतता नीं बण सकै पण एक नामी मां अर जोड़ायत तो अवस बण सके। 

इयां विचार करता करता रात रा दसैक बजगा अर किंवाड़ माथै खट खट बाजी। बा उठर किवाड खोल्यो। बारला कनै विरमौ ऊभौ हो हाथ में एक मोटौ सो थैलो हो जो अबरा ई बजरा सूं ल्यायो हो। विरमौ मोवनी रै कनै दूजी माची माथै नैड़ौ सी बैठगो। थेला मांय सूं मिठाई रो पुड़को काढ्यो। दोन्यूं आमी सामी कवा दिना। मोवनी ुणरी घणी रा लाड प्यार ने देख लारली बातां पांतरगी। 

मोवनी ने कद छफकी आई बींनै की ठाह नीं। सवार रा नव साव नव बज्या नींद खुली तो विरमा ने दूजी मनाची माथै गांठडी सो भेलो व्हियोड़ो सूतो देखर हापल वाई सी उठी। विरमा ने जगायो अर घर रा काम में लागगी बा चार पांच दिना में ई सगला घर रो रूप बदल दियो। बा राजी ही पर धणी रे अलगो रैवण सूं कालजा मांय कांटा चुभण लागा। 

दिनूगै मजदूरी कर सिंझ्यां खायपी दूजी माची माथै पड़ जावतो। इयां उणरे मांय खोटा लक्स कीं नीं हा। दारू अर दूजा नसा सूं कोसां अलगो। पण बो मोवनी सूं कीं बतां चीतां नीं करतो अर नी कदै..?

ऐक दिन मोवनी आंगणे बैठी नैणां सूं आंसूड़ा नितारे ही अर विरमा सूं कैवा लागी। आ सजा म्हनै क्यूं दैवो हो। कांई गुनो रियो म्हैं थारो। म्हैं तो अणजाण देस अर अणजाण मिनखां नै पण बाप री खोटी लत रे कारण हियै माथै सिलाड़ी राखर अपनावण रो मनसूबो पाल राख्यो हो अर थां म्हनै..?

विरमो ऐक टक सांमी झांकतो रह्यो अर मोवनी ने आपरे सीना सूं लगाय दी वर बो भी रोवण लागगो। मोवनी उणरे धठणी ने इंया रोवतो देख भंवर जाल मांय पड़डगी। कैवम लागी मिनख वहै र लुगाई रै सामी रोवो, इसी बकांई बात है, म्हनै बतावो। मोवनी थथोबती थकी बोली। मोहनवी म्हैं थारो गुनाहगार हूं। म्हनैं थनै सगला सुख दे सकूं पण..? विरमो दियावलो सो बोल्यो। 

मोवनी ने बाढ़ो तो लोही नीं, पगां हैठे सूं जमी सरकगी। बो फेरूं कैवण ला ागो..मोहनवी म्हैं इण काबल नीं हूं, पण म्हैं मां, बाप रौ एकाएक बेटो हूं अर इणाने वंस रो बधापो चाईजै। इण खातर म्हैं बा रे डर रे कारण थारे सूं ब्याव कर दियो। आ म्हनै ठाह कोनी के बै कियां वंस बधापो करसी। विरमा री बातां सुण मोबनवी तो अणचैत व्हैगी। कद फाखफाटी रो कूंकड़ो बोल्यो छाई नी पड़ी अर बखतर उठर घर रे काम में लागगी। 

थोडी ताल सूं किंवाड़ माथै खट-खट बाजी, मोवनी किंवाड़ खोल्यो तो सामी एक जोध जवान, स्यालो मोट्यार उमर चौबीस पच्ची रै लगै टगै। मोवनी एक निजर निरखती रहगी। बो मांय आग्यो, सगलां ने धोक लगाई, विरमा ने पण धोक लगाई, कनै सी टिकमौ बैठो हो कह्यो बेटा गोपाल आ थारी माबी है इ ै धोक लगाव पण मोवनी उणरा हाथ पकड़ लिया अर सरमीज गी। विरमो बोल्यो-ओ म्हारो भाणू गोपाल है। कनै स्हैर मांय कॉलेज री भणाई करै। ईयां आवतो ईज रैवे पर अबार मीना दोयेक रै टाल नीं आयो। म्है कॉलेज रा टूर में उटी गियोड़ो हो इण खातर नीं आय सक्यो गोपाल बात में बात मिलाई। 

अबै गोपाल इकांतरे आवण लागौ, नाना नानी रै बजाय मारी रे मथै निजर राघण लागो। मोवनी पण गोपाल कैई घड़ी तांई तीठी हथाई करती। गोपाल अर मोवनी ने इंया नैड़ा आलवता देख टीकमा अर उणरी लुगाई ने की सुगन मिलियो। मोवनी गोपाल रे सामी सगली हथाई करती पण धमई ने परमेसर मानती। 

मोहनी मन मांय विचारण लागी विरमा रे वंस रो बधापो करण रो ओ सोवनो अलवसर हो सो गोपल सूं हिमलमिल गी दोन्यूं एक व्हैगा। बगत पर माथे थाल बाज्यौ। वीरमा रे बैटो जलम्यो अर घर में घणो हरख अर उमाव हो। मिठाईयां बंटीजी, कमीण कारू ने नेगद दिरिज्या, ढोल रा ढमका बाज्या। पर मोवनी भंवरजाल मांय के बा किणरो वंस बंधाय री है? वीरमा रो के गोपा रो आ बात तो फखत बा इज जाणे ही। पण घणी रो लाड अर बेटा ने आंख्यां रै सांमी देख बा मन मसोसर रहगी।

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