पन्नालाल कटारिया 'बिठौड़ा''
सुखी मां अर बापू री मोबी अर एकाएक धीवड़। इण खातर घणा लाडै कोडै पली, पढी अर मोटी हुई। सुखी रो बापू लाखन एक चौथे दरजे रो राज रौ एलकार हो तो पण आपरी लाडली ने नैणा रे पलकां माथै राखतौ। सुखी री हर मांग पूरी करण रा जतन करतौ। इयां कोडां सुखी मोट्यार व्ही। डील सूं भरियै गोलै, घणी फूटरी फररी। हरिणी जिसा नैण, कमल री पांखड़िया जिसा गुलाबी होठ, कमर तांई लाबां केस अर हंसणी जिसी चाल, एक परी सूं कम नीं लागै है। भणाई-पढाई में सै सूं सिरै ही।
लाखण सुखी रै सगपण सारू गांवतरा करै, फिर फिर पगां रै पांणी काढ़ै पण दायजा रा लोभी बाकौ फाड़र बैठा रैवै। लाखण रै कनै दायजा सारू देवण नै घणौ कीं नी हो। फेरूं पण कीं जोड़ जुगत कर कर कनै सी गांव मांय सुखी रौ सगपण तय कर दियौ अर ब्याव पण कर दियौ।
छार छव मिना तो सूती ंगगा बही, पर कीं पछै ससरा आला सागी औकात माथै आयगा। सुखी नै दायजा सारू ताना देवण लगा ा। सासू कदै कैवे, भुख्या घर री पाने पड़ी। देवण ने कीं नी तो जा थारै मायतां रे घरां जार बैसजा। पाठौ मुंडो मती ना बताजै। म्हारै लाजू जिसा बेटा ने थारे जिसी तो तेपनसौ मिल जासी। जा थारै बाप ने कैय दीजै कि घर आलो कीं काम धंधो करणो सरो मंसूबहो राखै है, म्हारो बेटो भणियो पढ़ियो नीं है तो कांई? पन्दरे बीसेक छालियां ले लेसी।
सुखी कीं बोली (भुलावण सारू) घ्मांजी कीं दूजो काम करावतो तो चोखो रैवता।ङ अरी थूं कांई जाणै ओ काम माड़ो है, देख, बिहार री राबड़ी देवी ने, बा मुख्यमंत्री व्हैतां थकां जिनावर पालै है, तो आपां किसी खेत री मूली हां। सासु सुखी ने पालती थकी बोली।
लाखन बेटी री पीड़ ने जाण बापू की फेरूं जोड़ जगत कर बीनै पंदरेक छालियां सारू रकम देय दीनी, इण विचार मांय के किंया ई बैटी सुखी रैवै। सुखी रौ घणी एवड़ सारू छाल्यां ल्यायो अर चरावै। कीं बखत निसरियो पर बो ऊंधी सौबत में लागगौ। छाल्यां मायतां सूं परबारी बेच देवतो अर दारू पीवण लागौ। सुखी पर फेरू पईसा टका सारू ओओखा बोल बोलण लागी। मौसा देवण लागा।
सुखी घणी री मारकूट अर सासू नणद रा ओखा बोल सुण सुश सुखर कांटौ व्हैगी। वा पागल जिसी हरकतां करण लागी। कबाणी चूकगी, चेताचूक व्हैगी।
सुखी माड़ी दिमागी हालात रै पाण कदै माइजल रात या अधरात्यां घर सूं बारै निकल जावती तो सगला लारै भाजता अर सुखी ने समाज रे डर पाण पाछी ले आवता। कदै बीनै ओराय मांय बंद कर देवता। भूखी अर तिकरसी बा भींतां सूं भचीड़ा खाती।
जोग री बात, सुखी अंधारी धुप्प रैण घर सूं बारै निकलगी अर चालती रही, अककालै बा सासर आला रै हाथै नीं आई। सुखी रे जावण रौ कोई ठाणौ ठिकाणौ नी हो। बा तो पागल हुयोड़ी है। बा ईया चालतां चालतां एक स्हैर मांय पूगगी।
सुखी पागल जिसी हरकतां करै, मन मांय की गरणावती रैवै, कुत्तिय भुसे अर लारै न्हाटै, वींरा सगला पूर फाड़ लीरा लीर कर नांख्या। माथा रा बाल उलुझियोडा अर बिखरियोड़ा, पगां सूं उलबाणी। फाट्योडा पूर हाथां रै अर पगथलियां रै बांध्योड़ा। कचरा री ढिगलियां माथै फिरै अर फाट्योड़ा पूरा मेणीया (पॉलीथीन) भेला कर एक गांठडी माथै लटकाई राखै। जाणै कोई वाली (खास) चीजां उण मांय बांध्योड़ी व्है। पर बीं वैंगला अबला रे वास्ते अबै इण सूं व्हाली चीजां कांई व्है सकै ही।
बा अबला गलियां मांय रूलती फिरै। लुगायां, मिनख अर टाबरिया अलगै सूं रोट्यां रा टुकड़ा उणरै सामी फैंके अर नैड़ी आवता देख आडौ बंद कर मांय बड़ जावै। बे रोट्यां रा टुकड़ा ईया फैंके जाणै गली रा कुत्तियां ने देवता व्है। बा रोट्यां रा टुक़ड़ा सड़क सूं बीण लेवै अर ऊभी ऊभी खावण लाग जावै।
सुखी एक रूंखड़ा हेठै रात वासौ पूरौ करै। ईया करतां बरस दोयक व्हैगा। कोई दारूडियो मंगतो सुखी रे कनै दूजा रूंखड़ा हेठै आवण लागौ अर रातवासो ई बठै लेवण लागौ। बो मंगतो सुखी री पागल हातल ने देख उणरै साथै कालौ मूंडौ करतौ रह्यो। बा पगली अबला कांई जाणै-बो कुण है? कांई है? बो कांई करै है? बीनैं कीं भान नीं हो। उणनै तो खुद रा पूरा सावल करण रौ भान नीं हो, तो बा किणनै पालै ही।
एक दांय सायत बा पगली हात में बीनै (मंगत ने) काठौ पकड़र हाथ रो चामड़ो दांतां सूं तोड़र ले लियौ हो। बीं दिन सूं पाछौ बठै निजर नी आयो। सुखी रौ पग भारी व्हैगो। बा ईया ई गलिया मांय रूलै ही।
एक दिन बा एक गली मांय खाली रे कनै लुटै ही, सगला मिनख, लुगायां, टाबर आवता जावता देखै हा। कुण ई उण अबला री मदद नै तैयार नीं हौ। कनै सी एक घर रो सेठ सुखी री इण हालत ने देख स्हैर मांय काम करण आली संस्था मानव सेवा केन्द्र नै फोन घुमायौ। फोन सुणतां पाण बठै सूं एक एम्बूलेंस आई। सुखी ने सावल मांय बैठाय सफाखान लै गया।
सुखी सफाखाना मांचा माथै लुटरी रही अप पछै उणरै एक गीगौ जलमियौ पर बा तड़फत-तड़फती आ दुनिया छोड़ सुरग सिधाय गी। पर बो छोरौ कांई बणसी मंगतो कै देस रौ नेतौ? आ तो बखतई ज बतावेला। बीं अबला री पीड़ी इण समाज मांय दबर रैयगी।
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