पन्नालाल कटारिया 'बिठौड़ा''
घर मांय एकलो बैठ्यौ कदै किताबड़ी रा पाना फरोलतो तो कदै बारणा सामी झांकर र बापू ने उडीकतौ। बापू घरां नी पगूता जितरै म्हैं अणमणौ सो बैठ्यो रेवतो अर मां री भींत माथै टांग्योड़ी फोटू ने इकलग देखण लागतो। मां ने परलोक सिधारया अजै छह मीना ई नीं हुया हा। म्हैं बीं फोटू ने इकलग इंया देखतो, जाणै दोन्यूं मां बेटा हथाई कर रह्या व्है पण जद चित ठाणै आवतो तो आंख्यां तर व्है जाती।अजै म्हारी औस्था घणी नीं ही। म्हारा बापू म्हनै बा रे हाथ सूं जीमावता अर आंगली पकड़ पोसाल तांई पूगावत देवता। बापू पण पोसाल रा मास्टर हा पर दूजै गांव में हा। पोसाल री छुट्टी होयां म्हैं घर रे बारै चौतरी माथै बैठ बापू ने उडीकतौ हो अधघड़ी पछे बापू भी उणारी जुनी बाईसिकल माथै घरां पूग जावता हा।
एक दिन पोसाल सूं आवती टैम् बापू मोटी फूलां री माला लेय आया हा। माला मां री फोटू माथै अरपण करता थका बापू री आंख्यां सूं आंसू टपकण लागा। म्हैं भी ओ निजारौ रोवण लागो। बापू म्हनै गोदी में उठाय लियो अर गला सूं लगाय दिनो। आज म्हारी मां री पैली बरसी ही। बापू ओ दिन कदैई नी भूलता। बखत पाण म्हैं मोठ्यार व्हैगो। कॉलेज तक री भणाई पूरी व्हैगी अबै नौकरी री जोड़ जुगत में लाग्योड़ौ हौ। अठीने बापू नौकरी सूं रिटायर व्हैगा। मालावां अर गुलाल सूं गला तांई लदियोड़ा हा अणूतचे जोस रे सागै घरां पूगा। पोसाल रो स्टयाफ मिल म्हारा बापू ने लाडा कोड़ां घरां पूगाया। पूरा चालीस बरस री नौकरी पूरी ईमान सूं पार घाली ही। किण यूं ई स्टाफ मांय कदै खारौ नीं बोल्या। सगला रा लडा ेसर बण र रह्या हा म्हारा बापू। चोलो पाजोमो अर आंख्यां माथै काली फ्रेम रो चस्मो हाथ में एक गेडियो लियां घर रे बारे अर मांय फिरता निजर आया। स्यात् आज उणनै मां याद आ रही ही। बापू रे एकला रैवण रो आज पैलो दिन हो इण पास्तै म्हैं भी आज पूरे दिन घरांई ज रह्यो हो। ईयां म्हैं कम्पीटीशन री तैयारी ई कर रह्यो हो। बापू दूजा ओरा मांय कीं धारमिक पोथी पढ रह्या हा।
म्हैं विलायत मांय नौकरी सारू इम्तिहान दे दीनो। म्हारी पढाई माथै बापू ने घणो नाज हो। बापू म्हने मोटो मिनख बणावण सारू जी जान सूं लाग्योड़ा हा। बापू री आस अर म्हारी मैणतो रंग लाग्यौ। म्हारी विलायत में नौकरी लागगी। डाकियो हुकम पानो थमाय गियो हो। बापू ने ठा पड़ी तो उणां री बाछां खिलगी। खुसी रे कारण आंख्यां सूं आंसू आवण लागा। पण म्हैं अणमणो व्हैगो ऊंडा विचारां में डूबगो। मन मांय केवण लागौ घ्म्हारा बूढा बापू ने एकलो छोड म्हैं विलायत में मोटो मिनख गिणीजूंला पर बापू री जिद रे कारण म्हनै विलायत व्हीर व्हैणो पड़ियौ। हवाई अड्डा तांई बापू म्हारै सागै आया। म्हैं अजै बापू ने छोडणौ नी चावे हो। बापू म्हनै छाती सूं लगाय दिनो। म्हैं बापू नै धोक दी। बापू कैवण लागा-बेटा, जा फ्लाइट उडण रो बखत व्हैगो। म्हैं फ्लाइट सामी दुर गियो पर म्हारी निजर खांडी नी व्ही बापू हाथ हिलाय रह्या हा। अर आंसू पोंछ रह्या हा।
अणमना मन सूं विलायत में नौकरी करण लागो. म्हैं सै सूं मोटो ऐलकार हो। सगला ठाट बाट पण बापू रे सिवा कीं चोखो नी लागे हो। बापू ने एक कागद लिख्यौ-
म्हारा पूजनीक बापू जी, म्हैं आप सूं अलगो नीं जावणौ चावतौ हो पण आपरी मोटो मिनख बणाचण री जिद म्हनै थां सूं अलगो कर दियो। थारे बिना म्हारो मन घणो अणमणो रैवै। बरसां पेली मां रे पलको सिधारण सूं थां ईयां ई एकाल व्हैगा हा। म्हैं था सूं घणी अरदास कीनी ही क म्हारै साथै पधारौ पर म्हनै ठाह हो थां एक भारतीय मास्टर हो, माटी री महक ने छोड नीं सको। बापू थां म्हनै मोटो मिनख तो बणाय दियो पर थारे बिना म्हैं एकदम छोटो हूं। आपरो
बेटो हिंदुस्तानी
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