Friday 9 September 2011

साफा री लाज

पन्नालाल कटारिया 'बिठौड़ा''
राधा अर माधु रो ब्याव बालपणै हिंडा हंडता री ऊमर मांय आखा तीज रे मौकै वहैगो हो। आखा तीज रे दिन बाल ब्याव राजस्थानी समाज री घणकरी जातियां मांय आज पण राज री आंख्यां रे सांमी व्है। ओ दिन अबूझ सावा रो दिन मानीजै, इसी मानता है। राजा बाल ब्याव ने ढाबण सारू भांत रा जतन करै। सारदा एक्ट नांव रो एक करड़ो कानून बणायौ। पर समाज री इण कोजी रीत माथे ओ कानून असरदार निजर नीं आयो।
राधा पण इणरी लपेट में आयेगी। राधा रो बाप गोपाल अर माधु रो बाप भोपाल दोन्युं आपसारी में सगपण रो दस्तूर कर सगा बणगा। बे दोन्युं टाबरां ने बालपणै ब्याव रा बंधण में बांध दिया।


राधा अर माधु वखत परवाण मोट्यार व्हेगा। राधा कॉलेज री पढ़ाई पूरी करली। माधु तो आठवीं तांई नीठानीठ पड्यौ, बो भणाई पढाई छोड़ कलकते जातो रह्यो, बठै रूलतौ फिरै अर गलिवां मांय फिर फिर ने जूनो कबाड़ भेलौ करण रो काम करै। सोबत रे माय बो सिंझ्या तांई दारू री मेहफलां करै।

माधु धरां (गांव) समाचजार करिया क वो कलकते में ट्रेनिंग कर एक कॉलेज में बाबू बणगो, आ झूठी खबर लाय रे पूरी गांव में फैलगी, जियां आज पण हुवा करै है।

राधा तांई ऐ समाचार पूगा तो बा घणी राजी व्ही। बा मन मांय सोवणा सपना देखण लागी। कलकते जिसा मोटे स्हैर मांय म्हारौ घरधणी बाबू री नौकरी करै, इणसूं वैसी म्हारै वास्तै कांई हरख व्है सकै, बा ऊंड़ा विचारां मांय डूबगी।

राधा अर माधु बखत पाण जोध जवान (मोट्यार) हुयगा। राधा ने बिनणी बणाय घणा लाड कोड सूं माधु रे सगौ आणौ कराय दियौ। दोन्युं छोरी जोबन री थलेटी माथै जद पांवड़ौ राखै तो उणां रौ आणौ कराय दियौ जावै।

माधु एक दो दिन गांव ढबियौ अर बैगो सी कलकते व्हीर व्हैगो। राधा माधु री बात माथै विस्वास कर लियो क वो कलकते स्हैर मांय बाबू रो ओहदा पर नौकरी करे। कलकतै में उणरो दो माला रो घर भी है। माधु एक मीना री तातील पछै कलकते गियो हो।

अबै माधु ने कलकते गया 7-8 मिना व्हैगा। बा माधु ने उडीकती रही। बा विजोगण सूखर कांट व्हैगी। लाज री मारी बा किणी ने कांई नीं कैय सकी।

राधा री नेनकी नणद सुमन तो राधा ने देख बावली व्हैगी। बा भाभी रो पल्लौ पण नीं छोड़े। एक दिन राधा सुमन री आंगली पकड़र ओरा मांय लेयगी अर हथाई करण लागी। राधा पूछ्यो, च्सुमन थां कुणसी किताब तांई भणिया हो।छ पांच किताब तांई भणी भाभी सा सुमन पडूतर देती थकी कहो। बेसी नी भण सकी क्यूंके आपणा गांव मांय पांचवी तांई ईज भणाई व्है सकै अबै तो स्हैर जाणो पड़े अर घर आला ने इंगेज कोनी। सुमन बोली। थांरा भैया रे सागै क्यूं नी गी? बठै तो आपणो घर भी है नीं? राधा लगौलग पूछती गी। नीं भाभीसा बो घर तो मासी रो है, भैया रो कोनीं। मासी बठै सरकारी पोसाल में मास्टराणी है, सुमन फेरूं पडूतर दियौ। कांई बो घर थारौ कोनी? राधा ने एक करड़ो झटको लागो।

बीं नासमझ ने कांई ठा हो कि उणरा एक सबद पण राधा रा कालजा करवत बैवेला। बा मन में विचारे माधु इतरो कूड़ौ क्यूं बोल्यो कि उणरो दो माल रो घर कलकतै सैर मांय है? राधा रो माथो भरन्नाट करवा लागो। फेरूं राधा पूछ्यो थारा भैया कलकते री एक क ॉलेज में बाबू रा ओहदा ने नोकरी करै आ तो सांची है नीं?

आ सुणतां ई पेली तो सुमन जोर जोर सूं हंसण लागी..भैयार अर कॉलेज रो बाबू..? भाभी सा थां कांई हंसी करो हो। वौ तो कलकते में जूनो कबाड़ भेलो करण रो काम करै है। इण बात री ठा म्हनै आपांरा गांव रा सेठ रे मूंड़ै सूं सुण जद ठाह पड़ौ ही। बे घरां आय बाबू सूं कह्यो हो छोरो ऊंदी सोबत में पड़गो है। मौके टोके कदैई मिलै तो दारू रा नशा में हिंड़ा हिंडतो दिसै। म्हैं आ बात म्हारै कांनां सूं सुणी ही काम काज रे बारै में सेठ जी ईज बताई ही जको म्हैं थानें थांने कह्यो। सुमन भोले मन सगली गांठड़ी भाभी रे सांमी खोल दी। बा फेरूं कह्यो सेठजी री कलकते मांय सोना चांदी रे दागीणा री लांठी दुकान है, बो तो वरसा सूं बठैई बसगा मौके टौके गांव आता जाता रैवै, समुन लगोलग पडूतर दैती री।

आ बात सुणतां पांण राधा तो अणचेत व्हैगी, इतरौ झूठ...इतरो जाल म्हारै आगै? बा जोर सूं रोवण लागी अर मन मांय कीं बड़बड़ावण करण लागी।

राधा उणरा बापू ने जद सगली बात बताइ तो उणरो बूढो अर लाचार बाप माथा सूं साफो उतारङर राधा रे सामी राख्यो अर कहवण लागो, घ्बेटा म्हारे साफा री लाज राखङ समाज री रीत रे मुजब आपां ने चालणो पड़सी, पति परमेसर मानीजै चाहे बो अणपढ़, लूलो, खोड़ो, कमाऊ, अणकमाऊ किसो ई व्है। समाज री आ मानता है कि बेटी ब्याव होयां पछै इण कहावत पाण कि घ्अभि आई वा आडी जाईङ कैवण रो मतलब कि मरियां पछै ईज ओ साथ छूट सकै है।

बापू री बात सुण राधा तो अणूते भंवरजाल मांय फंसगी। बा करै पण कांई करै।

पूरो एक बरस निसरयां माधु गांव आयो। राधा माधु सूं सगली बातां अर हाल चाल पूछ्या।

राधा री बोली में फेर देख माधु घबराय गियो। बो बोल्यो राधा थूं ऐ सगली बातां क्यूं पूछै? कांई म्हारै माथै भरोसो कोनी? जे घर नहीं है तो बण जासी। थोड़ो घणो कूड़ तो सगपण रा मामला में भैलीजै ईज है। माधु ठीमरपणौ जतावतो थको राधा ने समझावे। थोड़ो सो कूड़? थां तो कैवता हा कि कलकते में दो माला रो बंगलो है अर कॉलेज रा बाबू हो? अर आ थारे मुंड डै सूं बास...? राधा रोवती जावै अर कालजा री पीड़ कम करण रो जतन करै।

राधा अबै म्हैं कीं दूजा काम धंधा री भाल कर देस्यूं. थूं चिंता न कर। बो राधा ने बिलमावे अर उणरी बाथां में मांय लेवण लागो। राधो तो जाणे भाटो व्हैगी। बा माधु ने एक निजर देखण लागी। अबै राधा सगली पोल जाणगी ही।

दूजै दिन दिनूगै माधु तो पूछ्या न ताछ्यौ कलकते व्हीर व्हैगो। बो राधा ने ईया ईज बिलखती छोड जातो रह्यो।
मन मांय एक घुटन, एक तड़पम उणनै कोजी भांत तोड़ न्हाखी ही। पंख काट्योड़ा पंखेरू री दांई बा फड़फडावै ही। बा अबै मानण लागी कि इणमें सगली भूल समाज री इण कोजी रीत री है म्हनै बालपणै परणाय दी। राधा को बुझयोड़ो मन किणी काम में नी लागै। अबै बा चेता चूक होयोड़ी सी लागै। कदै सी चूल्हे पर दूध उफणीजर ढुल जावतो तो कदेसी माथै पर सूं पाणी रो मटको पड़र फूट जावतो।

इयां काम रे बिगाड़ ने देख उणरी सासू रीसां बलती कोजा बोल बोलती। बा केवती-म्हनै किसी अधगैली बिनणी मिली है। राधा सासू रा खारा बोल सुण सुण सांची अधगैली व्हैगी ही। कदैसी बा उभी सी आगला कै गलियारा में धड़मा सीलाड़ी रे जियां पड़ जावती अर अणचेतै व्है जाती, हाथ पग करड़ा ठीठ व्है जाता अर दांतौर जुड़ जावता। राधा री सासू ईयां देखती तो डाफाचूक व्है जाती कदैसी उणनै पगरखा सूंघावती तो कदैसी पाणी रा छापका मूंडै माथै देवती। आस पडोस री लुगायां भैली व्है जाती। जद राधा ने चेतौ आवतो तो उणरी सासू फेरूं ताना देवण सूं नीं चूकती-केवत बाप किसी वैंडी टाबरी म्हारे गलै न्हाख दी? अबै इने भान आयो कि माधु रातो रात पाछो व्हीर क्यूं हुयो अर अजै तांई पाछो क्यूं नीं बावड़ियो?

राधा ने इयां देख गांव री एक बूढी डोकरी राधा री सासू सूं कह्यो घ्कोजो नीं मानो तो थाने एक बात कैवूं। म्हारौ चित तो कैवे कि इणरै माथै डाकण री छिंया पड़गी लागै। म्हारी मानो तो इणनै भोपाजी रे थान माथै लेय जावङ डाकर सल्ला दीनीं।

घ्थां चोखो कह्यो मांजी, सांची इ ै डाकण लाग्योड़ी लागै। बहेम म्हनै पण व्है।ङ राधा री सासू हामी भरत थकी बोली

आ बात व्हैतां ई लाय री दांई सगलां गांव मांय बैगी सी पगूती व्हैगी कि माधु री लुगाई राधा ने डाकण लाग्योड़ी है।

राधा री सासू राधा ने थान पर बूझ करावण सारू व्हीर होवण रो कह्यो पर राधा सासू रे सांमी हाथ जो़ अर पगां पड़ कहवण लागी, घ्मांजी म्हने कठै ईमत ले जावो। म्हूं सावल हूं।

राधा री सासू नीं मानी अर धिंगाणै उणनै पकड़र टींगा टोली कर बलद गाडी मांय न्हाख दी अर थान माथै भोपाजी रे सांमी ले जाय पटकी। भोपा री मोटी मोटी आंख्यां, उघाड़ो डील, हाथ में मोर पंख, गलो मालवां सूं अटियोड़ो, कमर मे मोटा घूंघरा बंधियोड़ा बो मन मांय की जंतकर मंतर गरणावतो रो राधा रे आसे पासे गोल कुंडल काढ्यो। जोर जोर सूं बोलतो थको बो  कूदण लागो, राधा सूं वाचा लेवै, घ्बोल कुण है थूं? अठै किंयां पूंगी? इणसूं थूं कांई मांगै है?ङ भांत भांत रा सवाल करतो थको चिपटो वासदी में तपाय तपाय राधा रा डील माथे जोर जोर सूं ठोकै। राधा जोर जोर सूं कुरलावै अर जिनवार के जियां अणूती डाडै पर भोपो तो उणनै सांच बोलावण में खपै हो।

राधा रोवती, कुरलावती बोले, घ्म्हैं राधा हूं। म्हैं एकदम सावल हूं। म्हनै मत मारो।

घ्ढब, थूं इयां साच नीं बोलेङ भोपो फेरूं चिपटौ तपाय मारै राधा तो चेतौ भूलगी। बा बैठी जठै ई गुड़गी। अणचेतै व्हैगी राधा।

राधा ने इण हाल में देखतां पाण भोपा रो भाव एका एक उतरगौ। राधा रे मूंडा माथै पाणी रा छापरा देवण लागो।
थोड़ी बखत सूं राधा ने चेतो आयो तो भोपा रो जीव में जीव आयो अर बीनै घरां ले जावण री भुलावण दे दी।

राधा री सासू उणरा बापू ने समाचार दिराया कि उणरी मांदी बेटी ने अठै सूं लेय जावै। राधा रो बापू उभा पगां व्हीर व्है राधा रे सासरे पूगो अर उमरी सासू रे सामी आपरे साफा री लाज राखण री भीख मांगत थको बोल्यो, घ्सगीजी, म्हारे साफा री लाल राखो।ङ बेटी राधा थांरे कांई हुयो, म्हारै साफा री लाज मती गमाइजै बैटी।

गोपाल राधा ने गांव ले आयोओ। सोना जिसी फूटरी फररी बेटी री हालत देख बाप रो कालजो एका एक भावी व्हैगो। राधा सूं पूछ्यो बेटी थांरे कांई दुख है? राधा तो कीं नीं बोली बीनै ठा हो किबापू नेबतायां की फेर पड़ण आलो कोनी। साफा री लाल राखण रीबात उणरी सांमी छाती कटारी लेय उभी ही।

दो च्यार दिन निसरया भणिया पढिया री सल्लू सूं गोपाल राधा ने एक लेडी डाक्टरणी रे कनै ले गियो। डाक्टरणी राधा ने विस्वास में राख ईलाज देवण लागी। हवलै हवलै राधा सावल व्हैगी पर अजै तांई उणरे मन मांय बापू रे साफा री लाज राखण आली बात आज पण उणरी जिनगणी रो रोड़ो बण सांमी छाती ऊभी ही।

राधा हाथ जोड़ बापू सूं कैवल लागी, घ्बापू, दो बरसां तांई म्है थारैङ घ्साफा री लाजङ राखली। अबै आप म्हारी जिनगणा री ला ज राख लो। म्हनै जीवती राखणी चावौ तो बीं घर म्हनै पाछी मत भेजो।

डाक्टरणी गोपाल ने सगली बात बताय दी ही। बो राधा री अरदाम मान ली। राधा रे कालजा री पीड़ ने जाणगौ हो। आ पण जाणगो हि बालपणै रै ब्याव री पडी छोरी ने बेसी झेलणी पड़ै। छोरी रे बी.ए. कै एम.ए. होयां भी उणरो मायनो इण समाजन में नीं है। फख्त घ्साफा री लाजङ फूटरी फररी अर सांतरी भणी पढ़ी ने एक दीठ रे लारै धकैल देणौ ओ सरासर इन्याव है।

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