इन्दर राजा रूठियो तो ईसो रूठियो के लगोलग चारेक बरसां तांई मेह री छाटं ई नीं पड़ी। इण खातर काल री छियां गांव माथै घणी गै री पड़गी। सगला कुआं अर बावलड़ियां रौ नीर पातालां पूगगो। पाणी रै खातर मिनख अर डांगरा अणूता डाडै हा। सगला री तिरस बुझावण रौ फकत एक इज आसरौ इण गांव रौ तलाव हो बो पण अबहकै एक दांण इन्दर री किरपा व्ही जद भरीजगो हो नीं तो सगला में फोड़ा पड़ता।
गांव मांय सैंग कर डेड़ सो क घर होसी, इणमें कम बेसी सगली जात्यां रैवै । सगला घणा हेत सूं एक दूजा रै साथै उठै बैठै अर भीड़ पड़िया एक दूजा री ईमदाद करै। सगला एक इज तलाव अर एक इज घाट सूं पाणी भरै हा। गांव मांय सुख सायंती अर राम राजी।
तलाव रौ आछो पाणी अर छिंया री सगवड़ देखनै एक बाबो तलाव री तीर माथै डेरा न्हाख दिया, दिन चार पांचेक निसर्यां बठै एक कुटिया उभी व्हैगी। बाबो हरेक बखत कुटिया रै बारै माला फेरतौ इज निजर आवै हो अर धूणी धुकायोड़ी राखे हो। डील सूं कालौ भटीड़ आंख्यां मोटी मोटी, जटा अणूती बधायोड़ी, राती लंगोट। गलो मालाव सूं अटियोड़ो। बाबा नरै इण रूप ने देख गांव रा सगला मिनख लुगायां बाबाने पूगोड़ो पुरूष मान कुटिया तांई जावण लागा हा।
भोला ढाला मिनखां रै सागै सागै गांव रा मौजीज मिनख पर बाबा रै कनै जावण लागा अर बठै इ डेरौ जमाय बैठै रैवै। अबै सगला लोग बाब नै बावजी कहर बतलावे हा। घणकरा तो अबै बावजी रै साथै साथै गांजा री चिलम रा सुट लेवण लागा हा। सगलां रै देखा देखी मोट्यारड़ा पण इण लत मांय भेला भिलगा।
केई दिनां तांई तो बावजी बाने आप खुदलियमां रा सुट पावता रह्या अर हेल न्हाखिया पर आ कैवत है के घ्हिलीयोड़ो गोदो खेत मांय बड़यां टाल नीं रेवैङ कैवत रै मुजब सगला नसेड़ी व्हैगा हा। अबै बावजी आपरा हाथ पाछा खांच लिया हा पर नसेड़ी सगला दिन उगै कुटिया माथे जमघट मांडता हा।
बाबो अबै मन मांय जाणगो हो के घ्बींद मरो बींदणी मर बाण रौ टक्को त्यारङ इम कैवत मुजब नसां सूं कितरा घर उजड़ेगा इणरो बेरो उणनै नी हो। गांजो नीं मिलण सूं सगलां रा नाहटा टूटे हा इण खातर बाबा नै गांजा रौ मोल चुकाय नै नशो करण लागा अर बाब कनै अबै ररिपियां री आवक सरू व्हैगी ही। बाबो डोरा डांडा पण कतो हो। पैली पैली तो गांव मांय ढोरा डांगर सगला रै साज मांद में झाड़ो झपटो देतो अर डोरो मादलियां में झाड़ो झपटो देतो अर डोरो कर देतो हो किम सूं टक्को एक पण नीं लेतो पण बखत रै साथे साथे बाबो रौ रूबाब में फेर ावतो गियो अर बो लोभी व्हैगो जद घणा मिनखां रौ हियो लागण लोगो तो बो अबे डागदर रै जिंया भिस वसूल करणा लागगो। हवलै हवलै नैड़ी दूर तक रा गांव मांय बाब री बैठ जमगी ही। अबै बाबा रै आवक में बधापो व्हैतो गियो अर देखतां देखतां कुटिरया री जगा तीन मंजल रो लांठो बंगलो बणगो। बंगया मांय सागली सगवड़। अबे बाबो एक नामी सेठ सूं कम नी लागे हो। पलका करती कार बंगला मै सामी ऊभी रेवै।
काली री काली छिंया तैर तैर बधती गी। एक बार झड़ाको कदेसी आ जावे तो गांव रौ तलाव हरके बार भरीज जावे। आ कैवत है के,घ्खुरापाती कीं खुरापत कीदा सिवा रवा नीं आवेङ ओ इण कैवत रै पाण बाबो अबे गांव मांय नवी हवा फैलाई के इण गांव रा सगला कुआ अर बावडिया सूखण रौ कारण नीची जात्यां रै मिनखां रै पाणी पीवण अर आंरी छियां पड़णौ है। गांव रौ जीवण अबे भगत ओ तलाव इज है। अबे इणने भरियो राखणो है तो..? पछै थे थारी जाणो। आ दो च्यारेक घरां रै लारै सगलो गांव दुख पावेला। बाबो तीन च्यारेक मौजीजा ने कह्यो।
आ केवत है के घ्भीड़ रै फगत कान व्है मूंडो कोनी व्हैङ रै मुजब हवा लाय री दांई पूरा गांव मांय पूगगी ही। ताबड़ तोड़ एक पंचायत बैठी अर सगलां रौ हुकम व्हियो के नीची जात रा तलाव रै नेड़ा नीं फटकण देणा। तलाव रो पाणी इणां रै घरां तांई नी पूगणौ चाईजै।
इण कैवत रै मुजब के एकलो चणो भाड़ नी फोड़ सके, गांव मांय दो चार घर डेढ सौ रो सानो कियां कर सके हा। अर वे तंग व्है एक एक कर गांव छोड जाता रीया। अबे गांव मांय फगत एक इज मेलावो अठे इज रेवण रौ पक्को मंसूबो ठाण राख्यो हो के अठे जलमियो अठै ई ज मरूंला। बो हो धन्नो धोबी।
दिन च्यारेक रै पछे धन्ना री घर आली रामप्यारी पैली रै जिंया भोला भाव सूं तलवा माथै पाणी लावण सारू गी ही। रामप्यारी रै तीर माथै पग धरतां ई बठे ऊभी दूजी लुगायां उणने आई जियां पाछी जावण रौ हुकम दियौ। रामप्यारी कैवण लागी, बेनां अजे काले तक तो आपां सगली एक इज घाट पर तलाव सूं पाणी भरती ही पण चाणचक म्हनै ना क्यूं..? एक जणी ताकड़ी होयर बोली, म्हारी आंख्यां आज इज खुली है भलो व्हो बावजी रो म्हारी आंख्यां खोल दीनी तो सगला कुआ बावड़ी रै जिंया तलाव रा पणी नै सुखण में जेज नीं लागती। सुणओ सगली बेनां अबे भूल्या जठे सूं गिणती सूर कर दो अर इण मेलावा ने तलाव रै नैड़ कर ई नीं जावण देणो अर रामप् ारी नै हेठी पटक लातां सूं ठोकण लागी। रामप्यारी मार रै कराण चिरड़ाटियां करण लागी ही पर धणी रै बिचालै उणरी चिरडाटी दबर रहगी ही। कोई केस खैंच्या अर कोई ओठनी। एक जणी तो मिनखपणा री मांठ इज डाक दीनी ही। उणरे मूंडा माथे लात री ठोक दीनी, जिणसूं उणरौ मूंडौ लोही सूं रातो व्हैगो हो। जद जायर कठै इणरो लारो छोड़्यो हो।
रामप्यारी ज्यां तिंया घरै पूगी धन्न नै समझतां जैज नीं लागी पर आ कैवत है के बकरी री छींक बजार मांय कुण सांभलै अर बो मन मसोसर रहगो। तीन च्यारेक दिन बित्या पर टाबरां नै पाणी रै खातर बिलखा व्हतै देख धन्ना रौ कालजो फाटण लागगो हो। केली मायं बासी पाणी हो सो दिनड़ा पार घाल्या हा पर अबे साव नीठगो हो। पर मरता कांई नीं करतो सो धन्नो रात नै तलाव सूं पाणी लावण री ठाणी अर दोयक बालट्यां डरतो भर ले आयो इंया छठाने छाने तीनेक दिन फेरूं काढ्या। एक राच चाणचक बाबा री आंख खुलगी तो बो धन्ना नै पाणी लेता देख लियो। अबे बो मन मांय घड़े अर भांगे हो। फेरूं दिन एक आडो पड़यां बाबो रात ने बंगला रै ऊपर डागला माथै सुत्यो निंगे राखे अर तीन च्यारेक नशेड़ी लठेतां नै ओले ऊभा कर दिया। अंधारी धुप्प रैण धन्नो डरतो डरतो भोला भाव सूं बाल्टी तलाव मांय डबकाई के च्यारूं लठैत धड़ाधड़ धन्ना रै माथै सोटा ठोकम लागा। बाबो डागले ऊभो सगलो नजारौ देख रह्यो हो। एक सोट धन्ना री कनपटी माथै बैजा लागगो इण सोट रै साथै इज बो तो बठ तड़फा तोड़तो राम नै प्यारौ व्हैगो। बाब रे बताय मुजब एक जैवड़ो धन्ना रै गला मांय बांध दियो अर ठिड़ता ठिड़ता सूनी रोही मांय एक रूंखड़ा रै टेर दियो हो।
दिनूगे तांई धन्नो घरे नी पूगो तो रामप्यारी तलाव कानी न्हाटी। बठे देख्यो तो लोही बिखरियोड़ो अर खुशलिया घालियोड़ी ही। रामप्यारी ने समझता जैज नी लागी अरल लिंगाटी रे स्योर स्यारे रोही मांय रूखड़ा तां ी पूगी तो बठे लोगी झान व्हीयोड़ो धन्नो रो पुतलो हिंडा हिंडे हो। क्यूंके बी रूखड़ा माथै चार पातेक लंगुरियां ऐक डाला सूं दूजा माथै फदाका मारे हा जिणसूं डालो हिलके हो। धन्ने रे पुतला ने देख बा तो बैसुध व्हैगी ही अर आपो संभाल नै तलाव तक पाछी आई ही बाब रे कन्ने लटियां तोड़ती। कैवण लागी घ्बाबाजी म्हारा धणी ने कुण ई मारा न्हाखियोङ बाबो अजणाज व्हैतो थको बोल्यो घ्बेटी आ कियां व्हैगी, अर जोव्हैगी तो धीजो राख, जावण आला ने कुण ढाब सके है ओ तो मानखां री करमगत है, जो सगला ने इण मारग तो जावण इज है। म्हारी माने तो उणरो बैगो सी किरया करम कराय दे अर पछै उणरी आताम री मुगत रो की जतन कर, नीं तो ओ तलाव धन्ना रे भूत री छिंया मांय रैवेला अर इणसूं पूरो ौ गांव दुखी व्हैला। रामप्यारी बाबा री मीठी बात रे भवजाल मांय आयगी। बाब री निजर धन्ना रे कांनी मुरकिया अर झेल माथे ही बो दूजे दिन भाखफाटा पेला धन्ना री रती री वानी मांय सूं ऐक ढेलो हाथ मांय लियो इज हो के गांव रौ ऐक बूढो मिनख बाबा रे रथी कने ऊभो अर वानी सूं हाथ लपट्योड़ा देख लिया। बाबा रो मुंडो तो धोलो फट्ट पड़डगो। बूढ़ो बोल्यो-बावजी अठे कांई करो हो अर मुट्ठी मंय काँई दाब्योड़ो है। बाबा री तो जबान तालवां रै चैंटगी, कीं बोल्यो नीं चाल्यो। बठे सूं तंतगा मनाया कर कुटिया पूगीयो।
बूढो मिनख गांव मांय जाय सगली विगत गांव आलां ने बताई तो गावं री पंचायत भेली व्ही बाबा ने पंचायत मांय बुलायो अर साचीपो देवण रो कह्यो पण बाबो तो काठो डरगो हो कैवत है के घ्चोर रा पग काचा व्हैङ अर बो खुलगो।
अबै गांव आला उणारी बरबपादी रो कारम जाणगा हा के ओब बाबो पूरा गांव ने नसेड़ी कर दिया। गांव मांय ऊंच नीच रो लांपो लगाय दियो। जितने बे च्यारूं लठेत बठे पूगगा अर ऐक जणो पंचायत रे सांमी हाथ जोड़तो थको बोल्यो-ओ बाबो म्हांने बीं दिन फोकट में गांजा री चिलमां दिनी अर म्हां नसा मायं धनना ने मार न्हाखियो। आ सगली खोटी सल्ला इण बाबा री ही।
पंचायत मांय सू एक बूढ़ो मिनख बोल्यो-आ बात पण कांई किणी सूं छानी है के ओ बाबो अठे आयो जद फगत लंगोट अर तूंबी ले आयो हो। ओ बंगलो आपारी कमाई रो है। ऐ कठे हल जोत्या हा। फेरू, दूजो बोल्यो ओ तो ऐक जीवतो भू है जो धन्ना ने जीवता ने खायगो अर मरिया पछे पण उणरी रथी तक नीं छोड़ी।
सगला गांव रा एक मतो कर बाब ने पुलिस ने सूंप दियो। अर आ भुलावण धाती के गांव रा सगला भाई भाई हा। कुण ई ऊंच के नीच कोनी। बाबा रे जावण सूं मोट्यारां री बरबादी बचगी। सगला मिल धन्ना रा मेलावा ने इमदाद दीनी। रामप्यारी ने धीजो दिरायो। अबै रामप्यारी सगली लुगायां रे साथे-साथे तलाब माथै पानी भरै। कुण ई उणने आ नीं कैवे के राम्प्यारी थूं...?
No comments:
Post a Comment