पन्नालाल कटारिया 'बिठौड़ा''
राजस्थान रौ एक गांव। जछै सगली जात्यां रौ रैवास। इणमें कारीगर, कुम्हार, नाई अर मालियां रा घर। दूजै कानी नायकां, मेघवालां, चमारां अर डूमां रा घर। सगलां घणै हेत सूं रैवै। एक दूजै रै अबखी पल मांय आडा आवै। गांव मांय सै सूं घणा घर ठाकरां रा है। अबकालै काल पड़ण सूं सगली जात्यां रै रोजी रोटी रौ फोड़ी पड़गौ। जियां तियां दिनड़ा काढै। इणमैं नायक, मेघवाल, चमार अर दूजी घणकरी जात्यां रा मिनख अंग्रेजी बावल बाढै अर कोयला रौ धंधौ कर पेट भरण रा जनत करै। पतियौ चमार पण आपरै मेलावा रौ पेट भरण सारू औ काम धंधौ करै। सगला मिल गांव री रोही सूं बावल बाढै। ऐ बावल पंचायत सूं निलामी री रसीद फड़ाय बाढ़ रह्या हा। इयां आंरौ तो फकत नांव हो बावल रौ असल ठेको तो गांव रा ठाकर भाखरसिंह रौ है।
एक दिन पतियौ आपरी धुम में रोही मांय बावल बाठै हो। परैवा सूं डील तर होयोड़ौ। रै रै नै लिलाड़ रौ परैवौ पूंछे। जितै ने उणरौ ट ाबर जोर सूं रोवतौ सुण्यौ। बीरै पग मां स्यात कांटौ चुभगौ हो। बीरै टाबर रै सांमी भालण सूं चेतौ चूकगो अर कवाडिया री पग माथै लागगी। कवाडियो पिंडी रै मांय बड़गौ। बो जोर सूं पग पकड़र बैठ ई बैसगो। उणरी पिंडी सूं लौही री धारोलां फूटगी। पतिया री लुगाई ओठणी नै फाड़ लौही नै ढाबण रा जतन करै ही।
जितै मजूरां री निंगेदास्ती में फिरतौ धिरतो ठाकर भाकरसिंह आयगो। पतिया नै बैठ्यौ बो कड़कङर बोल्यो, च्कै बात है पतिया? बैठ्यो कियां है?छ पतियो हाथ जोड़ कहवण लागौ, घ्हजूर पिंडी मांय कवाडियौ बड़गौ। लौही री धार बह रही है।
ठाकर रौब सूं बोल्यो, घ्कै भांग खायोड़ी ही। इसी के तलवार लागगी थारे। लोही निकलै तो निकलण दे। चमार रै लोही रौ के मोल है।ङ पतियौ हाथ जोड़ कहवण लागौ, घ्हुजूर लौही तौ ठाकर कै चमार दोन्यूं रौ एक जिसौ इ व्है।
घ्म्हारै सूं लप लपङ ठाकर पतिया नै झिड़कतौ थकौ बोल्यो। म्हारै सूं माथौ ना लगा। जाकर बावल बाढ नी तो रोटी रा फोड़ पड़ जावेला। मेरा रौब ने सगलां गांव का जाणे है। म्हैं बिमरियां पठै टका एक रो हूं।ठाकरां री एक मोबी बेटौ धीरज सैर मांय नौकरी करै हो। वो कदै कदै गांव आवै जद सगलां सूं हंस हंस मिलै, बीरै मन मांय कीं फेरफार निजर नी आवै। बो सगलां साथै उठै बैठै। आ बात ठाकर रै पचै कोनी, बेटा ने मरजाद पाण उठण बैठण री सीख देवै पण नुवै जमानै रौ धीरज आं सगली बातां पुराणा जामना री बातां मानै। बो कदैसी कैवै, घ्जीसा, अबै जमानौ बदलगौ है। ई बतां मांय अबै कीं नी धरियौ। समै रै साथै बदलणौ ई मिनखपणौ अर समझदारी है।
धीरज थूं म्हनै मिनखपणा री सीख देवै। ठाकर बेटा ने पालतौ थकौ बोलै।
एक दिन ठाकर भाकरसिंह मोटर साईकलि पर कनै सी गांव जार पाछौ आवै हो कि मांरग मांय एक भाटा रौ कोपर पैड़ा हेठै आवण सूं मोटर साईकिल बैकाबू व्हैगी अर ठाकर एक रूंखढ़ा सूं भचीड़ खा बठै ई पड़गौ। भचीड़ लागतां ई बो अणचेतै व्हैगो। माथा सूं लौही री धार छूटण लागी। ठाकर सिंझ्या तांई बठै खुरड़ा खोतरिया, मारग सूनी रोही मांय कर आवै हो इण खातर मिनखां रौ घणौ आवणौ जावणौ नी हो।
पतियौ सिंझ्या ताँई आपरै मेलावा रै सागै सागै थाक्यौ पचियौ आवै हो। दोन्यूं धणी लुगाई सिंझ्या रोटी रै जुगाड़ री बंतल करै हा।
चाणचक पतिया री नजिर मोटर साईकलि माथै पड़ी तो बो हाकबाकियो व्हैगो। बींरी निजर दूजै कांनी पड़ी तो वो ठाकर भाखरसिंह नै लोही सूं रगाबग देख्यो। पतियौ मन मांय विचारियौ घ्जे ठाकर रै कीं व्हैगो तो ईन्याव व्है जासी। अर जे हाथ लगाऊं तो...? खैर जो होसी सो होसी। मिनख रौ धरम तौ मिनख रै अबखी पर मांय काम आवै जद ई जाणिजै।
पतियौ ठाकर नै खांधा माथै न्हाख गांव मांय ले आयो। धीरज नै ठा पड़ी तो झट सूं ठाकर नै सफाखानै ले जावण रौ जतन करियौ। पतिया नै पण जीप मांय सागै बैठायौ। गांव रा दूजा घणखरा मिनख सफाखानै गिया।
डागधर झट सूं ठाकर रै वास्तै लौही री सगवड़ करण रौ कह्यो। गांव रा सगला मिनख लौही देवण नै तैयार पर किण रौ ही लौही ठाकरा रा लौही सूं मेल नी होयौ।
पतिया रै लौहरी री जांच सै सूं पछै करीजी क्यूकि बा डर रौ मारियौ सै सूं लारै उभौ धूजै हो।
पतिया रौ लौही ठाकर रा लौही सूं मेल व्हैगो। पतिया कैवण लागो, घ्हुजूर, कठै राजा भोज अर कठै गंगू तेली, चमार रा लौही रौ कांई मोलङ, धीरज नै हाथ जोड़तौ बोल्यौ। धीरज बींनै कीं समझायौ तो बो राजी व्हैगो। बो कैवे गर म्हारा लौही सूं ठाकर रा पिराण बचै तो ओ म्हारौ धिन भाग होसी। पतिया री लौही ठाकर रै चढायौ गयौ। रात भाखाटी री वेला ठाकर नै होश आयौ। पतियौ कनै हाथ जोड़ ऊभौ हो। बो कह्यो, हुजूर, म्हैं आपरै लोही रौ नास कर दियौ। आपरै लोही मांय म्हारा लौही रो भैल व्हैगो। म्हैं आपरौ कसूरवार हूं। जितरी सजा देवणी व्है जितरी देवौ पर औ कोजौ काम म्हैं कर दियौ।
गांव रा सगला मिनख अर ठाकर रौ बेटौ धीरज जद ठाकर नै सगली बात बताई अर कह्यो, घ्ओ पतिया तो एक धरम री मूरत है।ङ ठाकर रा कांन खुसर हाथां में आयगा। ठाकर पतिया नै आपरी बाथ मांय ले लियौ। ठाकर कहवण लागौ, पतिया म्हैं बीं दिन लौही रौ मौल नीं पिछाण स्कयौ हो। आज म्हनै ठा पड़ी के लौही रौ मोल कांई व्है? आज म्हारी आंख्यां खुलगी। अजै तांई म्हैं जूनी बातां रै भंवरजाल मांय फंसियोड़ौ हो। आज सूं म्हैं मिनख मिनख मांय फेर नीं राखूंला। सगलां रै वास्तै म्हारौ घर खुलौ रैसी। किण सूं कोई भेदभाव नी रेवैला।
ठाकर राजी व्है पतिया नै एक ऊंट गाड़ौ टाबरां रै कमाई सारू दिय। पतियो ना-मुकर करण लागौ पर ठाकर रै रूबाव में कीं ढालौ देख हामी भर ली। ठाकर अबै सगलां सूं हंस हंस मिलै। अबै ठाकर लौही रौ मोल जाणगौ हो।
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