Friday, 9 September 2011

मां

पन्नालाल कटारिया 'बिठौड़ा''
मीरा सफाखाना रा मांच माथै सूती तड़फा तोड़ै ही। कैई दांण कमर पकडर बा गांठड़ी सी भेली व्है जावती। दरद रो हिलारो उणनै कोजी भांत फंफेड़ न्हाखी। कदैई तो सांसा ई भुलाय देवतौ। मीरां रै जापौ होवण में कीं घड़ियां घटे ही। नर्स आई मीरां रै सूई लगाई अर स्ट्रेचर माथै सुलाय ऑपरेशन रूप मांय लेगी। मीरां रै धणी संकर बारे उटीक रह्यो हो। सफाखाना मांय आवण रो उणरै पेलौ काम ईज हो।

ऑपरेशन रूप री लीलकी बत्ती जुपी। नर्स बारे आई, संकर ने बधाई दी बोली, छोरो जलम्यौ है। संकर रो जीव थोड़ै ताबै आयो। नर्स फेरूं कह्यो, मीरां एकदम सावल है, ऑपरेशन सफल व्हैगो। 


संकर मीरां सूं मिलण नै उतावलौ हो पर अजै बा बेसुध ही। उणने स्ट्रेचर माथे पाछी सागी मांच माथै ले आया। 


दो तीन घड़ी पछै मीरां ने होश आयो तो बा आपरै कनै सुत्योड़ा बेटा ने देख निहाल व्हैगी। आज बा मां बणगी ही। आज उणरी खुसी रो पार नीं हो। बेटा रो नांव घणै कोड़ सूं अमरौ राख्यो गयो। मीरां उणरा लाडला ने हरमेस उणरी छाती सूं चेप्यो राखै क्यूंकि मीरां अबै फकत मीरां नीं ही बेटे री मां ही। 


काजल रा टीका टमका लगावै इण सारू के कठै उणरा लाडला ने निजर नी लाग जावै। ईया लाड़ां कांडा अमर मोटो होयो। पोसाल में दाखलो करायो। 


संकर लकड़ियां बाठर भारियां कनै स्हैर में बेचर मेलावो रो टबारौ चलावतौ। 


जोग री बात के कोनी होनी किणी सूं टले कोनी संकर जंगल मांय लकड़ियां बाढ रह्यो हो कि सता जोग गहरी बावल आई। घणकरा मोटा मोटा रूंखड़ा धूड़ भेला व्हैगा। अरम रो बापू संकर उणरी लपेट मांय आयगो के मोटा दरखत रो सियारे अबखी पल मांय लियो हो पर बो दरखत उलल गियो अर संकर हेठै दबर मरगो। 


मीरां तो जाणै धरती भेली व्हैगी। बा बेटा ने छाती सूं चेप घणी रोई पर अबै कांई व्है?


मीरा अबै अमरा ने देख देख दिनड़ा तोड़ै। अबै बो इज फखत सियारो हो। कदै अमर पोसाल सूं रोवतो घरां आवतो अमरी री आंख्यां मांय आंसू देख मां रो कालजो फाटण लाग जावतो कुण कूट्यो म्हारा आंख्या रा तारा ने? कालजै री कोर नै ओलबो देवण सारू कदै कदै पूरै बास में रोलो मांड देवती। बावली व्है जावती। क्यूंक बा एक मां ही...। 


ईया लाडां कोडा अमरीयौ मोट्यार व्हैगो बो मां रो घणो सम्नाम राखै। सिंझ्या तांई बेटो कदै मोड़ो आवतो तो बा बारण कनै ऊभी उडीकती रेवती..चूकि बा एक मां है अर मां रो जीव...। 


अमर रो बखत पाण ब्याव कर दिया। घरमां बिनणी आई मीरां घणी राजी व्ही। बिनणी रा वारण लिया, कुंकुं पगल्या मंडाया। बिनणी सासू रे पगां लागी। घरर मांय उच्छब मनायो। केई दिनां तक तो सूती गंगा बैवती री पण हवलै हवलै अमरां मांय कीं फेर वापरियो बो आपरी लुगाई रे केणां मांय चालण लागगौ। केई दिनां तांई मां सू बात नीं करै। मीरां अबै उमर रै लारलै पड़ाव में आयगी ही। बेटा ने ईंया देख मीरा कालजा माथै भाटो राखर मन मसोस ने बैसगी। अमर री लुगाई घर मायं सासू ने सावल बैठण री सीख देवती रेवै। नुंवा जमाना री बिनणी रे मीरा अबै आंख्यां मांय खटकण लागी। आ भरांत मीरा ने घड़ी पल सहन नी व्है पर बा..मां..है। 


एक दिन मीरा आपरी बिनणी अर बेटा री दुभरतां सूं तंक व्है आधी रात घर बारे निकलगी। अंधारी धुप्प रात हाथ में एक नैनी सी गांठड़ी जिणमें दो फाट्या पुराणा पूरा व्हैला। न ठावौ ठिकाणौ घर मंजलां घर कूंचा मीरां चालती रही। पांच छह दिन रा गांवतरा रे पछै बा एक स्हैर रै नेड़ै पूगगी। कीं थाकेलो कम करण सारू बठै बैठगी अर आंख लागगी।जितरे बठी कर एक मारूति निकली बा थोड़ी धकै जाय पाछी पाछपगी मीरा कनै आय ठमी। एक मिनख बूट सूट मांय अर लुगाई धोती (साड़ी) बांध्योड़ी फाटक खोल बारे निकला। मिनख रै मूंड़ै सूं चाणचक निकलयौ मां...। मीरां रै कांना मांय मां सबद पड़तां ई हाफलवाई उठी। फेरूं मीरा सूं ठाणौ ठिकाणौ पूछण लागौ। मीरा बोली, बेटा इण दुनिया मांय सगलो रो ठिकाणो एक ई है, पछै थूं म्हनै कुणसौ ठिकाणौ पूछै है? मारू आलो फेरूं बोल्यो, मां..जी, म्हारो मनसूबौ थाने दुख देवण रो नीं है। बात आ है कै म्हैं दोन्यूं घणी लुगाई हां. म्हारै लारला पंदरै बरसां सूं कोई टाबर नीं है इण खातर बालघर सूं एक टाबर खोलै ल्याया हां. म्हां दोन्यूं धणी लुगाई नौकरी आला हां थां इणरी देखभाल राख सको तो? मीरा रे कालजे मांय फेरूं ममता जागगी। बा हाम भर ली। मीरां उण नैना टाबर री देखभाल सगा बेटा अमरीया री दांई करण लागी। उणरो नांव चंचल राख्यो गयो। चंचल मीरा री देखरेख में मोटो होवण लागो। 


जोग री बात अमर री उण इज स्है मांय नौ ैकर लागगी। बो आपरी मोटर साइकिल माथै दफत्र कानी जावे हो कि ट्रक री फेट में आयगो अर घायल व्हेगो। लोग उणने सफाखाने पुगायो। चंचल रो बाप अर जो मीरा ने मां मनर घरां लायो हो बोईज उण सफाखाना मांय डागधर। डागघर री कोसिस रे पाण वअमरा रा पिराण बचगा पर लोही घणो बैवणा सूं कमी आयगी ही। छुट्टी होयां डागघरां घरां पूगौ मन मांय की गरणावे नांव तो अमरौ..पण मौत सूं झूं जै। किसी अजीब बात है। आ बात मीरां रे कानां तांई पूगगी तो बा पूछ्यौ बैटा कैबता है, आज ईंया अणमणौ सो किंया लागै, अर ओ अमरौ..? जिकै रो नांव अबार लियो। मां..जी ईया ई म्हां डागधरां कनै केई अजूबा आवै है। आज एक एक्सीडेंट रो केस आयो, जिणरे कलाई माथै लिखयोड़ो है अमर पर मौत सूं झूंझै। लोही चाईजै उणनै नीं तो वो...? मीर  ाअमर नांव सुणता ई एक दाण जोर सूं कुरलाई..नी! डागधर अचंभौ करण लागौ पर मां थारे कांई हुयौ? बेटा डागधर म्हनै सफाखानै ले चाल। म्हारौ लोही देउण उणनै। 


मीरा सफाखाने पूगी तो बा उणरी सागी अमर ने होली सूं रगाबग देख चेता चूक व्हैगी। बेटा ने ईया देख बा रोवण लागी। डागघर रै पगां पड़गी डागधर साब इणनै बचा ल्यौ। थां इ ै म्हारौ लाही चढ़ा दौ। साब ओ म्हारो अमरौ है। बेटा ने देख मां री ममता एकाएक फेरूं जागगी। 


डागधर कह्यो मां..जी म्हैं लोही रो इंतजाम कर देस्यूं। अबै अमर म्हारो पण भाई है। मीरां कैवै नीं साब मर करो थां म्हारो लोही लेवो। डागधर रै माथै मां री ममता भारी पड़गी अर मीरा रै लाहो री तपास व्ही।  ्‌णर रा लोही सूं मेल व्हैगो। लोही चढ़ायो गयो। अमर नै होस आयो। मां नै सामी उभी देख अर डागधर रै मूंडा सूं सगली बिगत सुण अमरौ मा रै पगो पड़गौ। आ बो जाणगो हो के मां...कांई व्है। अमर डागधर नै जियां तियां राजी कर मां ने घरां (गांव) ले आयौ। अबे दोन्यूं धणी लुगाई मां री खूब सेवा चाकरी करै।

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