Friday 9 September 2011

धौलौ दूध


पन्नालाल कटारिया 'बिठौड़ा''
पातूड़ी गांव री रोही में छाल्यां चराबै ही। उमर 6-7 रै लगहै टगै होसी। मन सूं भोली-ढाली पर आंख उणियारै फूटरी अर हुस्यार छोरी। इणरै दोय ओयं मोटी बैना ही जो घर रो काम काण ईज करै ही। पातूड़ी गांव री पोसाल मांय भणै ही। बा भणाई पढाई में सूं अगाड़ी खातर पोसाल रा सगला माट साङब बातूड़ी रो घणौ लाड़ राखता हा।
एक दिन पातूड़ी रोही में छाल्यां चरावै ही। छाल्यां कनै सी धोरा माथै फोग चबावै ही। पातूड़ी नैड़ै सी एक नाड़ी पर पाणी लेवण गई तो वा टाबर पणा री रमत में लागगी अर थोड़ी ताल बठै ई माटी रा रमतिया बणावण लागगी। फेरूं हाथ पग धोवण सारू नाडी रे पाण मांय उतरी तो अजाणचक पातूड़ी रो पग उंड़ै खाडा मांय पड़गौ अर बा पिसलर पाणी मांय गुचलका खावण लागी. हाका करण लागी।


नाडी कांनी हूं हाका हूक रोही में छाल्यां चरावता उणरै सागै पढण भोजा रै कानां पड़ी तो बो उभा पगां दौड़र ने पाणी सूं बारै काढी। पातूड़ी रे नाक अर मूंडै सूं पाणी बारे आयौ। घड़ी दोयके रे पथै पातड़ू रो जीव ताबै आयौ। बा भोजा ने दौड़ता आवतो देख लियौ हो। बा घरां जाय सगली बीती बात आपरी मां अर बापू ने बताई तो पातूड़ी रा मायत घणा राजी व्हिया। भोजा ने घरां आवण रो कह्यो। भोजो रा मायतां सामी घणा बखाण कर्या। भई भोजा, आज थूं बठै नी व्हैतो अर पातूड़ी ने बारै नीं काढतौ तो आ आज मर ई जाती।

पातूड़ी भौजा एक डोरौ बांध धरम रो भाई मान लियौ। तीनूं बैनां भोजा ने धरम रो भाई मानै बालपणा री भौल में सगलौ धोलौ दूध निजर आवै। भोजो पण पातूड़ी अर दूजी नै बैनां समझण लागौ।

भोजौ खाता पीता खर रो छोरौ हो इण खातर इणरां मांयत उणनै सैर री अंग्रेजी पोसाण मांय पढण सारू सैर मेल दियौ हो। 

बखत किणनै ई उडीकै अर टैम निकला जैज नीं लागी। बखत आया पातूड़ी मोट्यार व्हैगी। डील भरीयै गोलै। गोल उणियारो। मोटी मोटी आंख्यां। गोरो डील घणी फूटरी लागै ही पातूड़ी। पर उणरै घर री माड़ी हालत रे कारण तीनूं मोट्यार छोर्यां रो ब्याव अजै नी व्है सकियौ हो।

भोजो पढ़ाई करतौ थकौ सैर री जगत पोसाल मांय पढण लागौ हौ। पर बठै री सौबत रे पोणा भोजा मटरगस्ती अर दारू अर दूजा नशा करण लागगो। आ कैव है कि काल्या रे कनै धोल्यो रैवे तो गुण नीं तो लखण तो लेवै इज। इण कैवत रे मुजब भोजो पण दूजा छोरां री देखा देखी उंधी सौबत मांय फंसगो हो। अर इणा ईजी उंधी सौबत रे कारण पढ़ाई अधबीचालै छोड सैर री एक होटल मांय नौकरी करण लागौ अर पछै धरू होटल खोल मैनेजर बण बैठगौ।  ुणरी होट मांय केई भांत रा काला कारनामा व्हैतै रैवता। भोजो आपरी होटल मांय सगली सगवड़ देवण रो वादौ कर दिसावरी मिनखां सूं अणूतौ पईसौ लूटतौ। बीरै कने स्हैर अर आसै पासै री घणकरी काला धंधा करण आली छोर्यां अर लुगायां रा ठाणा ठिकाणा लिख्योड़ा हा।

भोजा ईया तो गांव आया बरस बीत गया पर मायतां री ओलूं आवण तांई घड़ी दो घड़ी सारू मिल पाछौ सैर पगू जावतौ हो। भोजा रा गांव मांय घणा बखाण व्हैता क्यूंकि बो जद कदैई गांव आवतो तो बूट सूट अर टाई लगायां चमचमाती पलका पलक करती दिसावरी कार सूं आवतो हो। पर गांव रा नै कांई ठा। बै तो सगलौ धोलौ धोलौ दूध ई जाणै हा।

भोजी री नजर अचाणचक पातुड़ी रै माथै पड़ी तो बीं री निजर बठै ई अटक गी। उणरी आंख्यां फाटीर फाटी रैयगी।

बो सायनां सूं पूछियो-घ्आ छोरी कूण है रे?ङ एक सायनौ पडूत्तर देतौ थकौ बोल्यौ-घ्आ तो पातूड़ी ा है नीं। कांई थूं इणनै पांतर गियौ? नाड़ी सूं बारै काड़ी ही इणनै..डूबती ने।

भोजा बीं बखत ही हथाई छोड पातूड़ी रे घरां गयौ। भोजो घर रे आंगणां मांय मांची माथै बैसगो पर कुण ई उणनै नीं पिछाण सक्या हा। सगला उभा व्है हाथ जोड़ राम राम कीना। भोजा ईया नजारौ देख बोल्यौ घ्कांई थे म्हनै मलनै नी पिछाणियो? म्हैं भोजो हूं...भोजो।ङ ओह, भोजो। भई। सुणीजै थूं तो सैर मांय जाय मोटौ सेठ बणगियौ रे। सगला भोजा सूं बंतल करै।

अरे पातूड़ी, थूं इतरी मोटी व्हेगी...? पातूड़ी (हंसती थकी)...तो कांई म्हैं उतरी इज रैवती?..भई। भई...? भोजा ने एक झटकौ लागौ।...खैर। ऐ तो जूनी बातां व्हैगी। किसा भा ी अर किसी बैन...? गाय रे भैस कांई लागै रोही जाती भेली व्है...? मन मांय कीं गरणाट करै।

फेरूं कैवै...पातूड़ू थूं म्हारै सागै सैर चालसी कांई..? भोजो उणरा मां बाप ने सुणावतो थकौ बोल्यो। हां..थूं ले जासी तो म्है जरूर चालस्यूं...थूं तो म्हारौ धरम भाई है रे...? हां तो आज सिंझ्या म्हैं जावूंलो..थूं व्हीर व्है जाई जै भलौ। पातूड़ी अजै धोली दूध ई जाणै ही। बा राजी राजी भोजा रे सागे व्हीर व्हैगी।

सैर पूग्यां पातूड़ी तो जाणै सैर रो नजरा ौ देख गैली व्हैगी। बा सैर पैली दांण देख्यौ हो। भोजो दो चारेक दिन तांई तो पातूड़ी ने विस्वास दिरायौ। फेरूं एक दिन होटल रा एक ओरा मांय की ओढायोड़ी ट्रे ले जावण रो कह भोजो पातुड़ी ने ट्रे झिलाय दी। पातूड़ी सगलौ धौलौ दूध जाणै ही इण खातर बैजा नी मान्यौ।

बा हाथ में ट्रे लियोड़ी और मांय बड़ी तो ओरो रो किंवाड़ आपू आप बंद व्हैगो। पातूड़ी पीछौ जोयौ तो बंद किवाड़ ने देख होश भूलगी। बा ट्रे ने बई पड़ी टेबल माथै राखी। ओरा मांय एक दिसावरी (विदेसी) अधकर रो बैठी मुलकै हो..बीरै मूंडै सूं अचाणचक निकलियौ, वाह..! भोजा...वहा। तेरी तो दाद देनी पड़ैला। (अंग्रेजी लहजा में हिंदी बोलता थको) हाऊ  ब्यूटी?

आज तो खूब शराब (दारू) पीऊंगा और ऐश करूंगा। लट्ठौ ट्रे सूं गाभौ अलगौ करे..ट्रे मांय दो खाली गिलासां अर दिसावरी दारू री बोतल ही...? पातूड़ी एक खुणै मांय हिरणी री दांई धूजै ही। बा किंवाड़ भचीड़ण लागी अर भींता सूं भचीड़ खावण लागी पर उणरी आवाज ओरे बारै नीं पूगी। पातूड़ी ने अबै धोलो दूध कालौ व्हैतो निजर आवण लागौ। बा अणचेतै व्हैगी अर एक खुणै मांय पड़गी। पण वो दिसावीर लट्ठो पातूड़ी रे सागै कालौ मुंहड़ौ कर दियौ। पातूड़ी ने जद चैतौ आयो तो आपू आप तो खाट माथै पड़ी देख अर उणरा गाभा ने देख घणी रोई पर उणरी पीड़ी भींता रे बीचालै दबर रहगी। भोजो पातूड़ी रो सौदौ उण विदेसी लट्ठा रे सागै कर दियौ हो। 
पातूड़ी ने धोलौ दूध आज कालौ निजर आयौ।

No comments:

Post a Comment

Rajasthan GK Fact Set 06 - "Geographical Location and Extent of the Districts of Rajasthan" (राजस्थान के जिलों की भौगोलिक अवस्थिति एवं विस्तार)

Its sixth blog post with new title and topic- "Geographical Location and Extent of the Districts of Rajasthan" (राजस्थान के ...