Saturday, 10 September 2011

थाल री टणकार


थाल री टणकार बाजता ही पास गवाड़ी मांय पण सगला लोग घणा राजी होया। सगला ऐक दूजै सूं कैवण लागा कूकल रे बेटो जलम्यो है। घर मांय भांत भांत री जुगत करीजै। कूकला रो बूढो बाप गमनो आ सुणता ई जाणै मोट्यारपणो पाछो आयागो व्है। बो डांगड़ी रे स्सारै सेठ री दुकान पर कीं पईसा टक्का अर सीधा री जोड़ जुगत सारू राजी राजी व्हीर व्है जावै। वो हवले हवले दुकान तांई पूग्यो अर बारणा रे बारै बैठ खांसण लागो।

धन्नो सेठ दुकान मांय की ब्याज बटा रा हिसा में लाग्योड़ौ हो। गमना ने दुकान रे बारै देख सेठ रो चित हिसाब सूं टूटगौ। बो गमना ने देख्यो। सेठ रे कनै दो तीन मिनख फेरूं बैठा हा। बे कीं हिसाब किताब करावण सारू आया हा।

गमनी फेरूं डांगड़ी संभाली अर सियारो लेय दुकान मांय बड़तो थको बोल्यो घ्मजरो सेठ।'आव भई गमना, सेठ बोल्यो। सेठ गमना रे सांमी सावल देख्यो अर बोल्यो घ्किया गमना भई आज तो म्हनै थांरी बोली अर आंख्यां मांय की फेर निजर आवै है? म्हनै ई तो बताव कांई नुवी खबर ल्यायौ है?'


गमनौ कवेण लागौ-घ्सेठां घर में गीगो जलम्यो है, छोरा कुकला रे बेटो जलम्यो है।'कूकला रै पैलो टाबर इज जलम्यो, आ बात तो नीं ही पण अबकै बेटो जलम्यो हो।

कूकला रे दो बरसां री एक छोरी ही पण बा मांदी मांदी है। छोरी रे जलम पर थाल री टककार नी बाजै अर घर मांय मातम री छिंया पड़ जावै। आ समाज री ऐक कोजी रीत मानीजै।

गमनो सेठां ने कैवे-घ्सेठ कमीण कारू ने नेग, यार-भायलां ने गोठ, भैण भुवा ने कीं गहणां रो नेग देवण रसारू कीं पईसा टका चाईजै। घर मांय उच्छब सारू सीधो पण चाईजे। अबै पांच पचसा सिर होसी तो होसी। सेठां ! पईसो तो हाथ रो मैल है, आखिर मांनखो कमावै ई कुणसै दिन खातर है।'गमनो की पईसा टक्का अरसीधा री जुगत कर घरां आवै। बास गवाडी में घर र लाडू की हांती बंटीजै। सिझ्यां रा घर में लापसी रो भोजन बणाईजै। बास गवाड़ी में जीमण रो नूतो दिराजै। मिनख कर लुगायां गीगा रे हाथ में पांच पच्चीस रूपीया सरधा मुजब नालेर दैवे। गीगा रो अणूतो लाड करै।

कूकला रे घरां उच्छब मनाई जै, लुगाईयां मंगल गीत गावै-
थे तो देवो नीं रूपीड़ा रो दान
सूरज भल उगियो।
ऐ तो बाज्या है सोवन थाल
सूरज भल उगियो।
थारै जलमियो है लाडल पूत,
सूरज भल उगियो।
थारे हुई मातीजी री मेर
सूरज भल उगियो।
गीगा रो पालण रिपिया कवा सूं करीजै। सगलां मां बाप आ आस राखै कि उणरो लाडेसर बैगी सो मोट्यार व्है जावे, कमार ल्यावै। उणरो ब्याव होसी तो घर में बीनणी पण आसी। पुरखां रो नांव रेसी।

गीगा रो नांव टीकमो राख्यौ। बखत टीकमो पांच बरस रो हुग्यौ। कूकलो अर टीकमा रो दादो गमनो एक एक दिन गिणती करै हा, आज बो दिन आयगो।

छोटी गीता पण टीकमा रै सागै-सागै सात बरस री व्हैगी। पण उणरो कुण ध्यान राखै हो। बा कुणसी कमार देसी? बा तो परायो धन मानीजै। समाज में सगलां री आ इज मानता। इण मानता अर कोजी रीत रै कारण सीता ने स्कूल पण नीं मैली।
छोरा रे बांच बरस रो हयां उणने शारदा पूजावै, नालेर बधारे अर गीत गाईजै।
बना थे तो बांच बरस रा हुयग्या,
थे तो दूध पतासा पियग्या।

कूकलो उणरा लाडेसर री आंगली पकड़र स्कूल में नांव लिखावण सारू लै जावै। मास्टरजी ने टडीका री भुलावण दैवे। टीकमा रो पढ़ाई में मन नी लागै। पर इणनै पढ़ावणौ जरूरी है। टीकमो स्कूल जावण में आल टोल करै। स्कूल सूं न्हाट न्हाट घरां आ जावै। घर में लाड रे कारण बींनै कुण ई नीं पालै। टीकमा ने इया फटोल व्हेतां देख कूकल मन में विचारियो सीता ने टीकमा रे साथै साथै स्कूल मेल देवां तो दोन्यूं भाई भैण सियारा सूं स्कूल में बैछ जासी। टीका रै साथै सीता रो नांव पण मंडाय दियौ।

टीकमौ लाड रे कारण नीं पढ़ सकयौ। सालीना फैल व्हैतो गियो। सीता पढाई में हुस्यार, टीकमा सूं दस पांवड़ा आगै। टीकमौ दस बरसा में नीठा नीठ आठ किताब तांई पढ़ सक्यो। सीता री पढ़ाई देखतां थकां स्कूल रा माटङसाब ने समझावै के सीता ने स्कूल नीं छोडावै। पण सीता रे स्कूल भेजण सारू घर मं नित राड़ व्है। कूकला अर सीता री मां रे माटङसाब री बाद दाय आयगी।

अबै सीता स्कूल री पढ़ाई पूरी कर कॉलेज तांई पुगगी अर मन लगाय पढ़ाय करी। पढाई पूरी होयां बा नौकरी री जोड़ जगत में लागगी।

टीकमो तो आठ किताब पढ स्कूल छोड दी ही। अबै बो रूलेटां रै साथै रूलतो फिरै। घर में बेटो होवण रे कारण बींने कुण ई नीं पाले। इयां करतां वो कदै कदै दारू री मेहफलां में पण बैसण लागगो। बो घर आला रे कैणे सूं बारै व्हैगो।
समै किणनै उडीकै कोनी, बखत बीतता जेज नीं लागी अर बरस अठारै रो व्हैगो टीकमो। उमर पैली बो कोजी सोबत में फंसगो।

सीता ने पढाई अर जुगत रो फल बैगो मिलगो। बा कलेक्टर रा ओहदा तांई पूगगी। सीता रे कलक्टर बणण पे सगला बास गवाड़ी अर गांव रा लोग घणा राजी हुया। चारूं मेर सीता रा बखाम होवण लागा।

ओ दिन गमना अर कूकला खातर पण घोणो सोवणो हो। अबै बांने ठाह पड़ी के छोरा छोरी में फैर नीं राखणो चाईजै। बे टीकमा ने इयां गलियां गलियां रूलतो दैखे तो भाटा सूं माथो फोड़े, करै पण कांई। इण री कोजी रीत रे कारण वे सीता ने पछै स्कूल भेजी।

मीको मिल्यां छोर्या छोरा सूं चार पांवडा आगै चाल सकै है, जिंया सीता मैणत करनै कलक्टर रा ओहदा तांई पुगगी। टीकमौ जिणरै जलमियां थे थाल बाज्यो, लाडू बंटया। बो आज लाड रे पाण रूलेट अर फटोल बण मां बाप रो बोझ बण बैठो है।
सीता रो सगपण बैगो इज उणरै बराबरी रे ओहदै आलै रे साथै तय व्हैगो। सीता रो ठाट पाट सूं ब्याव पण व्हैगो।टीकमा रा फटोलपणा ने देखतां उणरो सगपण नीं होयो। कुण ई आपरी छोरी देखतां आंख्या खाडाड में नीं न्हाखणी चावै हा। बोईयां ई रूलतो रह्यो।

धनो सेठ उधारी रा तकादा खातर गमना रो पग आंगणो कर दियो। बो घणी ताकीद देवण लागौ। आ बात जद सीता ने ठाह पड़ी तो बा सगलो चुकारो कर दियो।

कूकला रो नांब बदल कुंदनमल राख दियो अर गमना रो नांव गुमानमल राख दियो गयो। अबपै दोन्यूं बाप बेटा कुंदनमलजी अर गुमानमलजी, कलेक्टर साहिबा रे बापू अर दादीज रे नांव सूं चोखला में जाणीजै। भा टीकमा रो नांव पण बदल टीकचंद बदल गियो गयो। भा ी नेइयां रूतो देख सीता बींनै प्रधानमंत्री रोजगार योजना आलो करजो दियो अर सीखी दीनी के छोटो मोटो काम कर।

टीकमचंद करजो मिलयां एक छोटी दुकान खोली दी। वो दुकानदार बणगो अर कीं कमावणो सरू करि दियो। अबै वो सगली गलत सोबत छोड़ धंधा में चित लगाय दियो।

टीकमचंद रा धंधा ने देखतां बींरो सगपण बैगो इज तय व्हैगो अर ब्याव पण व्हैगो।

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