धापू हाथ में कागद लिया बारणा रै बारै बैठी कीं विचारै ही। डाकियो थोड़ी ताल पैली धापू ररै हाथ में एक कागद फकड़ाय गियो हो। कागद बचावण सारू बारै उभी किणी भणिया पढ़िया री उडीक में आवता जावता ने देखे। कागद धापू रे बेटा जवाना रो हो। जवानो फौज मांय दुसमिया रे सांमी चाती डटियोड़ो हो। धापू बेटा रे राजी खुशी रा समाचार सुण बा घणी राजी व्ही। बेटो देस रे खातर दुसमियां सूं लड़ै इण बात सूं बीनै दुणौ अंतस हो। जवानो दो महिना पछै छुट्टी आवण रा समाचार लिख्या हा।
धापू पण एक सहीद री विधाव है। दो बरस पैली ईज उणरो धणी दुसमियां सूं लड़तो देस रे खातर सहीद व्हैगो हो। धापू ने पण समाज मांय अणऊतो मान सनमान मिलियो। बींनै उणरा धणी री वीरता माथै घणौ गुमान हो। धापू उणरै धणी रै मारग चालण री सीख उणरा बेटा जवानां ने दी ही। उणरै मन में देस भगती री भावना अणूती है। धापू री बिनणी जवानां री बऊलिछमी रो पग भारी है, उणरै टाबर जलमण रा दिन नैडा आयगा हा। लिछमी आंगणा रे बिचालै बैठी विचारै ही इसै बखत में हरेक नौकर ने छुट्टी मिले, फखत देस रे खातर लड़ण फौजी ने नीं मिलै। बो कै तो लड़ाई पीरी होयां घरां आवै कै उणरी लास..।
लिछमी कीं आपौ संभाल र मन ने फटकारियो-आ थूं कांई सौचे है, धणी तो परमेसर मानीजै अर उणरै वास्तै इसा विचार। बा करै पण कांई पैलो टाबर अर धणई काले कोसां आगौ बैठो है। थारे कने भगवान है। भगवान माथै भरोसो राख बा मन ने थथोबो दियो। धापू लिछमी ने इंया बैठी शी घणा बखत सूं दैखे ही। बा कह्यो घ्बेटा उठ! इंया कालजा ने नैनो नीं करणो चाईजै। जवानो म्हारै कालजी री कोर है। बेटा ! बो देस रे खातर सीमा माथै डट्योडो है। उठ बेटा! थनै इण हाल में घणो भूखौ नी रैवणो चाईजै।'
लिछमी उठी! रसोड़ा मांय जाय खीचड़ो रांध्यो। सासु अर बिनणी दोन्यूं खिचड़ो जिम्यो। तद घणी धरां नीं व्है तो पांच पकवान किणनै भावै। जे टाबर व्है तो उणरे मिस बणाय दैवे पण लिछमी रे तो ओजूं पैलो टाबर अबै होवण आलो है। बा तिबारी लिछमी री आंख फेरूं खुली, उणनै नींद कद आवै ही? चाणचक चिमनी बुझगी, तिबारी मांय अंधारो व्हैगो। एक अणूती पड़ी उणरी कमर ने पकड़ ली। बा पाछी माछी माथै बैसगी। पीड़ री मारी परेवा (पसीना) सूं तर व्हैगी। लिछमी फेरू जोर कर उछी। चिमनी जगाई अर उणनै सावल लटकाय नीं सकी जितै पड़ी पाछी वापरगी। लिछमी गांठड़ी री नाई भैली व्है-अरे, इसौ कांई व्हैगो म्हारै? माची माथै पड़गी लिछमी अमूज आयगी उणने। पीड़ रो हिलारो बीने कोजी भांत फड़फड़ावै हो।धापू कनै दूजै ओरे मांय सूती ही। लिछमी सासु ने नी जगाई-बीने सास री बात याद ही कि चार पांच घड़ी तांई तो दरद झलणो चाईजै। बा विचारियो सफाखाने जाय कांई करणो है? पीड़ तो म्हनै ई जेणी पड़सी। सफाखाना मांय कै घरां। इतरी अणूती पीड़ व्हैला लिछमी कदैई नीं विचारियो हो। पूरा डील ने गांठड़ी रे जियां भैलो कर राख्यौ हो।
बा फेरू हिम्मत कर उठी अर सासू ने जगाई। धापू हाफलबाई उठी अर पड़ौस आली दाई ने बुलावण सारी गू। धापू बैगी सी दाई नै सागै सागै लेयर आवगी। पड़ौ री दो चार लुगायां फेरूं आयगी। बैगी सी सफाखाना में पण खबर करया दी। सफाखाना सूं एक लैड़ी डॉक्टरणी अरदूजौ स्टाफ आयगौ। धापू लिछमी रे माथा माथै हाथ फेरे ही अर थथोबै ही।
धापू मन मांय डरपै ही-घ्अबै कांई होसी। सांसा भूलगी-लिछमी'इतरी तड़पावै आ कालजा री कोर। भाखफाटी री वेला लिछमी रे एक नैनकियो जलम्यो। अणचैतै पड़ी ही। कीं चैतो आयौ तो नैनकिया ने देख निहाल व्हैगी। बींनै आपरो घणी जवानो याद आयोगा। लै ओ थार देश रो रखवाओ अर म्हरा कालाज री कोर। घर मांय थाली री झणकार फूटी। गांव मांय सगला ने ठाह पड़गी कि फौजी जवानो रे बेटो जलम्यो।
दिन उगे सूर उग्यां पछै लगै टगै आठ सवा आठ बज्या व्हैला के गांव रा सार्वजनिक टेलिफोन तांई आ खबर पूगी के जवानो दुसमणां सूं लड़तो लड़तो देस रे खातर सहीद व्हे ैगो. आज सिंझ्या तांई सहीद री लास गांव पूग जासी।
लिछमी तो जाणै माथै भाकर पड़ृगो। अणचेते व्हेगी। चैतो आवण तांई सासु री छाती में माथो दे कुरलावण लोगी। नानकडिया ने छाती सू लगाव लियौ। बा रोवती सी बोले क्यूं मिनख एक दूजा ने मारे। गोली चाहे कुणसी दिया सूं लागै। टूटै तो एक मां रे कालजा री कोर।
एक मां पूरी रात अणूती पीड़ झेल नवा जीव ने धरती माथै ल्यावै। लिछमी नानड़िया रा अणूतो लाड़ करै अर जोर जोर सूं रोवे ही। धापू रे मुंडै सूं फखत एक इज सबद निकलै म्हारै कालजा री कोर। फेरू लिछमी रोवे -अरे! म्हारे कालजा री कोर। दोन्यूं री आंख्यां मांय ूसं आंसुवा रो अबै थाग आयगो हो।
जवानो कैवतो हो- लिछमी थांरो लाड़लो पण म्हराै जियां देस री रिच्छा करैला।'
लिछमी ने जवाना री बात याद आयगी, बा रोवती थकी घ्जरूर..जरूर करैला म्हारा भरतार, म्हारी आ कालज री कोण इण देस री रिच्छा जरूर करेला।'धापू अर लिछमी रे कालजा रा लीरा लीर व्हैगा।
पण एक अंतस ही मन में देस रे खातर जान देवण आलै सहीद री मां अर अर्धांगनी होवण रो, गुमेज पण ही।
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