Friday, 9 September 2011

गिया रूंखां रौ फल

पन्नालाल कटारिया 'बिठौड़ा''
लिछमण लांठै डील रो घणी। साढा छवैक फुट रो भरपुर सूरोपूरौ मरद। मूंडा माथै अणूतो नूर। हंसोकड़ सुभाव। सगलां सूं हेत राखै। लिछमण हरमेस दिन उगै दूध रा ड्रम आपरी बाईसिकल माथै सैरल पुगावण सारू जावै हो। घर मांय राम राजी, गायां, भैंस्यां, धीणौ धापौ भरपूर। लिछमण री कमाई रै पांण उणरी धर आली पतासी मौज सूंरेवै ही। गैणा सूं लाम झूम हरेक बखत बण ठणर रैवै ही। पतासी फखत घर रा चूला चौकी, सासू री सेवा अर उणरा पांच बरस रा बेटा री साल संभाल में रेवै ही। लिछमण ढांडा री साल संभाल में लाग्योड़ी हो। गांव रा घणकरां मिनख अबखी पल मांय लिछमण रै कनै इज आवता हा। लिछमण किणनै ई ना देणौ तो सीख्यो ई कौनी, सगलां रौ काम काढ़तौ।

लिछमण रै घर मांय चार जणा धणी-लगाई, बूढी मां अर छोरौ। घर मांय सै ठाटबाट। सुख सांयती ही। सुरग जिसौ घर। 


एक दिन लिछमण स्हैर सूं दूध देयर आयो ई हो के जितै नै गांव रौ विरमौ अणूतौ डाफाचूक होयोड़ौ लिछमण रै घर कानी दौड़तौ आवै हो। लिछमण बारणै रै कनै ऊभौ हो बोल्यौ, घ्कांई बात व्हैगी विरमा इतरौ डाफाचूक क्यूं है?ङ विरमो हाथ जोड़तो थकौ कैवण लागो, घ्लिछू भाई, नैनकियौ छोरौ रमतौ रमतौ पाणी री होदी मांय पड़गौ। छोरी री मां पाणी लेवण नै गी ही अर म्हैं भींत रै गारौ देवै हो। छोरा नै सफाखानै सैर लै जावणौ पड़सी, ई सारू कीं पईसां चाईजै अर थांनै पण सागै चालणौ पड़सी।


घ्थूं घरां चाल म्हें आ आयोङ, विरम नै थथोपतो थको कह्यो। ताबड़ ताबेड़ लिछमण विरमा रै घर कांनी व्हीर व्हियौ। विरमा रै घरां मिनख लुगायां, टाबरां रौ हियो हियो लाग्योड़ौ हौ। छोरा नै जीपड़ी में स्हैर लै जाय ईलाज करायौ, दो तीन घड़ी री औखद रै पाण छोरो सावल व्हैगो। छोरा नै राजी बाजी सिंझ्या तांई गांव ले आया। 


लिछमण रौ तो बो इज नित नेम गायां-भैंस्यां री निरणी करणी अर दूध दुहणी कर टैम सर सैर पूगावणौ। 


जोग री बात लिछमण उणरी बाईसिकल माथै दूध बेच पाछौ गांव आवै हो के मारग मांय ट्रक रौ भचीड़ लागगौ, लिछमण पैडा हेठै किचरिजगौ अर मरगौ। गांव मांय बावर (समाचार) पूगा। बावर सुणता ई सगला मिनख बठै पूग्या। 


ओ नजारो देख सगलां री आंख्यां सू आंसूड़ा ढलकै हा। पूरा गांव मांय हांड्यां बंधीजगी। सगलां रौ लाडलो हो लिछमण। कैवत में कैवीजै कै सौ मर जाइजो पण सौ ने तारण आलो मत मरजो। पण आज तो ऊपर आला रौ उंदौ न्याव हो। सौ ने तारण आलौ ई दुनिया छोड जातौ रह्यो। पर आ भी कैवत है कै घ्होली ने कुण टालै।ङ इण कैवत रै मुजब बूढा बडेरा उणरा दुखी मेलावा नै थथोबौ दैवता।लिछमण री बूढी मां, लुगाई अर पांच बरस रा नैना छोरा माथै आफत रौ मगरो पड़गो हो। तीनूं ई गैला गूंगा व्हेगा। बडेरा कैवत कही कै आफत किण नै ई समचौ करनी आवै। डाढी मांय सूं सांप निपजै आली कैवत आज लिछमण रै मैलावा माथै खरी उतरगी। महिना दो तीनेक बित्या हा के लिछमण री घरआली सगली गायां भैंस्यां बेच दी। सासू नै आवल कावल बोलण लागी। जियां तिंयां छवेक महिना नीठ पार घाल्या अर दाती पोता नै छोर एक मोट्यारड़ा रै संग कजाती री। बीरै सागै कोरट मांय ब्याव कर लियो। घरवकरी सगली लेयर जाती री। 


घर मांय दादी अर पोतो। हेठै धरती माथै आभौ। पेट भरणौ ओखी व्हैगो। सोरा दोरा दिनड़ा पार घालै। लिछमण री मां गांव रा उण मिनखां कनै जावै पर कुण ई उणरै सामौ ई नी जोवै जिणां रै लिछमण आधी रात काम आवतो हो, पण आ केवत है कै उगतां नै सगला पूजै आथमता नै कुण पूजै?


भाग री बात मांय राज रो कैम्प लागौ, इणरौ ओ प्रचार करीजियो कै इण कैम्पय मांय सगला गरीब री सुणवाई व्हैला। आ बात गुड़कती गुड़कती लिछमण री मां रै कानां तांई पूगी तो बा उणरा पोता री आंगली पकड़ कैम्प मांय पूगी। 


एक ऐलकार पूछ्यौ, मां सा ओ छोरो किणरौ है? डोकरी कही, बावजी, गिया रूंखां रो फल है। म्हारौ पोतौ है बावजी। इणरौ बापू ट्रक हेठै किरीजगौ अर इणरी मां...? कांई बताऊं बावजी रोट्यआं रा फोड़ा पड़गा। अर डोकरी रै आंख्यां सूं आंसुवां री धार छूटगी। मां जी चिंता ना करो छोरा नै राज री पोसाल मांय भरती करा देस्यां, सगलौ खरचौ राज देसी अर थांनै महिना री पेंशन दिरास्यां। ऐलकार थथोपौ देतौ कह्यौ। डोकरी हाथ जोड़ती थकी कैवण लागी, बा बावजी भगवान थांरौ भलो करसी।

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