26 जनवरी, 2001 रो वो दिन सवार रा लगैटगै नव सावा नव बज्या हा। जद धरती धूजी। आंखो गुजरात अर मरू ुधरा हिंडा हिंड़ण लागी। सगला मानखौ खुरलावण लागो। कुण ई बोले भूकम्प आयगो अर कुण ई बोले धरती धूजी। मानखा में च्यारूमेर भागा दौड़ लागी। हाहाकार मचगो। मोटा मोटा गंगाल दस माला सूं लेयर पचास साठ माला ताणी रा देखतां देखतां तास रै पत्ता रै जिंया खिडंगा अर धूड़ भेला व्हैगा। अणगिन मानखौ जीवतौ बूरीजगौ। सगला जीवता समाधी लैय ली, लेवै कुण हो ओर कुमाणस बगत धिंगाणे दे दी। मोटी मोटी होटलां, दफ्तर, पोसाहां, कारखाना पूरा सैर अर गांव रा गांव मसाण घाट में बदलगा। लासां रा ढिगाल व्हैगा। जीवता रह्या बे एक दूजा खातर आंसूड़ा नितारै हा। मां बाप टाबरां खातर, बैन भाई खातर, लुगाई धणी खातर, घणकरा टाबर रूदरा व्हैगा। लुगायां रांडीजगी। केई लुला पांगला व्हेगा।
आज तांई बो दिन आंख्या रै सामी जमदूत रै जिंया उभौ दिसै।
बो दिन गुजरात ई कांई सगली दुनिया याद राखसी, जद धरती धूजी।
चारू मेर जमी मसाण बणगी, लासां रा ढिगला पड़या हा। सगली लासां नै एक साथै धरम करम अर जांत पांत नै पर राख अगनी नै सुपरत करिज्या।
रूगनाथौ ओ दिन उणरा झूंपड़ा रै बारै बैठ्यौ बींरी आंख्यां सूं देख्यौ हो। उणरी आंख्यां रै सामती बो दरसाव फोर फोर आवै हो।
रूगनाथ राजस्थान में काल रो सतायोड़ी घर बार समेत कमावण साय गुजरात कानी गियो हो। पर कुदरत रूगनाथा रै मेलावा रो लारौ काठो झाल दियो।
रूगनाथ अलगो सो ऊभौ डर रौ मारिय ो थर थर धूजै हो। बो एक झूंपड़ा मांय आपरा मेलावा सागै दुख रा दिनड़ा काटण सारू गांव सूं अठै पूगौ हो। बो मैणत मजरू ी कर मेलावा रो पेट भरण रौ जुगाड़ करतौ हो।
आज रूगनाथा रो झूंपड़ो जिंया रो तियं ा अर सागी ठौड़ जमयोड़ो हो, रूगनाथो आपरा झूंपड़ा अर मेलावा ने राजी खुशी देख हरखै हो। बो विचार में डूबगौ टाबरियां भूख सूं अधमरिया तो व्हैगा पर जीवता तो है।
रूगनाथ रै मूंडा रौ नूर चाणचक उतरगो बो उंडा विचारां मांय डूबगो, मगज मांय उणरो भूख सूं तड़पतौ मेलावो गतोला खावैहो। मेलावा रौ पेट भरण खातर कीं मजूरी मिल जाती ही। पर जद धरती धूजी बीं दिन सूं तो इण धरती रौ रूप ई बदलगो हो। चारूं मेर हाहाकार मच्यो हो, कठै मजूरी अर रोटी?किणी मजूर नै मजूरी नी मिलण रौ सीधी मतलब भूख नै नूतौ देवण मानीजै। मेलावा रै भूखा रेवण री आवटण सूं रूगनाथो मांदो पड़गौ। बींनै ताव आयगो। बीं रौ डील ताव सूं सिकेहो। झूंपडा में पईसो एक नी अर होयां भी व्है कांई। दवाई कठां सूं लावै?
रूगनाथा री जोड़ायत टीपू उणरी लिलाड़ माथै गाभौ भिजोय मेल राख्यो हो। बी रा टाबर उणरा पीला पड्या डील नै टुकर टुकर देखे हा। रूगनाथो पण आपरा लुगागई टाबरां नै देखे हो। बी री आंख्यां सूं पाणई री धार छुटगी जोर सूं रोवण लाग्यो। बो मेलावा नै जीव सूं बैसी लाड करै हो। उणरा टाबर लारला जीन चार दिनां सूं साव भूख हा। उण दिन सूं जद धरती धूजी ही।
रूगनाथो पूरो जोर लगाय मांची सूं ऊभौ व्हैगो। उणरौ कमजरो डील हींड़ा खावै हो। भींत रौ अडखण लेय बो जमी माथै आबचिंतो उभौ व्हैगो।
बो राज सूं मिलण आलौ ईमदाद लेवण सारू व्हीर व्हैगो। बठै पूग्यां मानखां रो हियो हियो लाग्योड़ो देखता पाण बीं रो तो मूंडो उतरगो। थोड़ी ताल बो ईया ई ऊभौ ऊभौ देखतौ रह्यो, चाणचक बीं रे मांय एक अणूती सगती वापरी। बो मन मांय कीं बोल्यो, घ्म्हैं म्हारी आंख्यां रै सामी म्हारा टाबरां नै भूख सूं नी मरण देवूंला। म्हैं टाबरां खातर रोटी जरूर जरूर ले जावूंला।'
बो पूरी सगती सूं भीड़ी रै बिचालै बडगौ। रोट्यां बैंसण आली गाडी रै कनै पूगगो। गाडी रै डाला माथै ऊभा मिनख रै हाथ सूं रोट्यां रो बीड़ौ झपटर भीड सूं झूंझतो बारै आयोग। बारै आवतां ई उणरौ कमजोर अर मांदो डील सागी रूब बताय। बो धड़ाम देता जमी माथै पड़गो। आंख्यां आडी तिरमाली आयगी उणरै।
एकाद फेरूं आपौ संभालयौ तो उणरै हाथ में रोट्यां रौ बीड़ो हो अर मेलावा रो जीव? फेरू हिम्मत राख बो सूपड़ा आली दांडी सामी दौड़्यौ। रोट्यां रो बीड़ो लेय घरां पूगो। बीड़ो टीपू रै हाथ में झेलायो। रूगनाथो आज घणो राजी हो जाणे कठै रौ किलौ जीतर आयगो व्है।
रोट्यां रौ बीड़ो देख टाबपरां री आंख्या मांय चमक वापरगी। टाबरां नै इया देख रूगनाथा री आंख्या पण तर व्हैगी। आज उणरी आंख्यां सूं खूसी रा आंसूडा छलके हा। टीपू री आंख्यां पण तर व्हैगी। टाबरअर टीपू एक तर रूगनाथा ने देखे हा।
आज घणा दिना सूं मेलावा ने रोटी मिली ही। रूगनाथौ झूंपड़ा रै बारै पड़ी सागी मांची माथै पड़गी।
आभै सूं पटक्यौ अर खजूर में अक्यो आली कहावत रूगनाथा माथै सांगोपांग जचगी।
रूगनाथो गुजरात सूं जिंया तिंया पड़ धड़र उणरै गांव आयगो। आज पण रूगनाथो गुजरात री धरती रौ बो दिन मिनखां नै कैवतो नी भूले घ्जद धरती धूजी।'उमर सुद पुन्यु तांई बो दिन याद रैसी'जद धरती धूजी'
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