टाबर पणा (बाल विवाह) रा बोयाबीज।। कैवे बापू पांच बरस रा टींगर ने।
बेटा, चाल धोक देवणने मिंदर में। चंवरी मंडी है घणी भारी।
आई परणीजन रीर थारी बारी।। टींगर मून खोल्यो।
बापू सूंकी बोल्यो।। बापू। म्हनै तो भूख कोनी,
थोड़ो सो पाणी पाय ले। अरफेरा थूं खाय ले।।
म्हंनै तो आवे नींद। कोनी बणू म्हैं बीदं।
टींगर जाण्यो आई आखातीज। बापू ल्यायो कोई खावण री चीज ।
बो उठ'र मूंडो धोय लियो। भान पड़ी जद बोल्यौ।।
म्हनै बापू भण्णदे। मोटो मिनख बणण दे।
थारा क्यूं हिया फूटा। टाबर पणै क्युं बांधे खूंटा।
देख उण कान्या मान्या मंगनिया ने। रोवता देख उण छगानिया ने।
बै आपरै करमां ने रोवे है जमारो बिरथा ईखोवे है ।
टाबर पणै ब्याव री कोजी रीत। बापू मत कर ऐड़ी प्रीत।
आई आ आखातीज।
रचना - पन्नालाल कटारिया 'बिठौड़ा''
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