राजस्थान में अनेक झीलें हैं, उन्हें दो श्रेणियों में विभक्त किया जाता है, ये हैं -
(अ) खारे पानी की झीलें एवं
(ब) मीठे पानी की झीलें
इनका संक्षिप्त विवरण यहाँ प्रस्तुत है।
(अ) खारे पानी की झीलें एवं
(ब) मीठे पानी की झीलें
इनका संक्षिप्त विवरण यहाँ प्रस्तुत है।
(अ) खारे पानी की झीलें
राजस्थान के पश्चिमी मरूस्थली क्षेत्र तथा अंतः प्रवाह वाले क्षत्रों में अनेक खारे पानी की झीलें हैं। इनमें सांभर, डीडवाना, पचपद्रा आरै लूनकरनसर झील प्रमुख हैं।
राजस्थान के पश्चिमी मरूस्थली क्षेत्र तथा अंतः प्रवाह वाले क्षत्रों में अनेक खारे पानी की झीलें हैं। इनमें सांभर, डीडवाना, पचपद्रा आरै लूनकरनसर झील प्रमुख हैं।
(1) सांभर झील- जयपुर जिले में जयपुर से लगभग 65कि.मी. पश्चिम में सांभर झील न केवल राजस्थान अपितु भारत की प्रमुख खारे पानी की झील है। इस झील के पानी से नमक उत्पादित होता है। झील का कुल क्षेत्रफल लगभग 150 वर्ग किमी. में है।
(2) डीडवाना झील- नागौर जिले में डीडवाना नगर के निकट यह खारे पानी की झील है। इस झील के जल से सोडियम लवण तैयार किया जाता है।
(3) पचपद्रा झील- बाड़मेर जिले के पचपद्रा नामक स्थान पर यह खारे पानी की झील है।
(4) लूनकरनसर झील- बीकानेर से लगभग 80 किमीदूर लूनकरसर में यह झील स्थित है।
उपर्युक्त प्रमुख खारे पानी की झीलों के अतरिक्त कुछ छोटी झीलें फलोदी, कुचामण, कावोद, कछोर, रेवासा
आदि में हैं।
आदि में हैं।
(ब) मीठे पानी की झीलें
राजस्थान प्रदेश के लिये मीठे पानी की झीलों का विशेष महत्व है क्यांेकि राज्य में पानी की कमी हैं आरै मीठे पानी की झीलें पेय जल तथा सीमित रूप में सिंचाई हेतु जल प्रदान करती हैं। राज्य में मीठे पानी की प्राकृतिक झीलें भी है तथा अनेक झीलों का निर्माण बांध द्वारा पानी को रोक कर किया गया। राज्य में मीठे पानी की झीलें अनेक जिलों में स्थित है। यहाँ राज्य की प्रमुख एवं प्रसिद्ध मीठे पानी की झीलों का संक्षिप्त विवेचन प्रस्तुत किया जा रहा है।
राजस्थान प्रदेश के लिये मीठे पानी की झीलों का विशेष महत्व है क्यांेकि राज्य में पानी की कमी हैं आरै मीठे पानी की झीलें पेय जल तथा सीमित रूप में सिंचाई हेतु जल प्रदान करती हैं। राज्य में मीठे पानी की प्राकृतिक झीलें भी है तथा अनेक झीलों का निर्माण बांध द्वारा पानी को रोक कर किया गया। राज्य में मीठे पानी की झीलें अनेक जिलों में स्थित है। यहाँ राज्य की प्रमुख एवं प्रसिद्ध मीठे पानी की झीलों का संक्षिप्त विवेचन प्रस्तुत किया जा रहा है।
(1) जयसमंद झील- इसका निर्माण वर्श 1685-91 में महाराणा जयसिंह द्वारा गोमती नदी पर बांध बनवाकर कराया गया था। यह झील उदयपुर से 51 किमी. दक्षिण-पूर्व में स्थित है। इसको ‘ढेबर-झील’ के नाम से भी पुकारा जाता है। यह राजस्थान की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील है, जो पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
(2) राजसमंद झील- इसका निर्माण महाराणा राजसिंह ने सन् 1662 में कराया था। यह झील उदयपुर से 64 किमी दूर राजसमंद जिले में स्थित है। इस झील के किनारे सुन्दर घाट और नौ चैकी है, जहाँ संगमरमर के शिला लेखों पर मेवाड़ का इतिहास संस्कृत में अंकित है।
(3) पिछोला झील- उदयपुर नगर के पश्चिम में पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण पिछोला झील है। इस झील के दो टापुओं पर जग मंदिर और जग निवास नाम के सुन्दर महल बने हुए है।
(4) फतह सागर झील- उदयपुर नगर से सटी हुई फतेह सागर झील, पिछोला झील के उत्तर-पश्चिम में है जिसका निर्माण महाराणा फतेह सिंह ने करवाया था।
(5) आना सागर झील- अजमेर में स्थित इस झील का निर्माण सम्राट पृथ्वीराज चैहान के पितामह आनाजी ने करवाया था। इसके किनारे एक उद्यान ‘दौलत बाग’ एवं इसके तट पर सुन्दर संगमरमर की छतरियाँ (बारादरी) हैं जो पर्यटकों के आकर्शण का केन्द्र है।
(6) पुष्कर झील- अजमेर से 11 किमी. दूर पर्वतों से आवृत पुष्कर झील है। यह धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्व की है तथा पर्यटकों के लिए दर्शनीय है।
(7) सिलीसेढ़ झील- अलवर नगर से लगभग 12 किमी दूर अरावली की पहाड़ियों के मध्य यह सुरम्य झील है।
उपर्युक्त झीलों के अतिरिक्त नवलखा झील (बूंदी), कोलायत झील (कोलायत-बीकानरे ), शैव सागर (डूंगरपुर), गलता एवं रामगढ़ (जयपुर), बालसमंद झील (जोधपुर), कैलाना झील (जोधपुर), भरतपुर का बैरठा बांध तथा धौलपुर का तालाबशाही भी प्रसिद्ध है।
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