Friday 9 September 2011

कन्यादान

पन्नालाल कटारिया 'बिठौड़ा''
सीमा आज बैजा भवजाल मांय पझगी। तोरणा माथै उभौ बींद। बेटी वसुन्धरा रौ ब्याव। बींद ने टिकण री वैलाई तो सगला रे मुंडा सूं ऐकई ज सबद कै सीमा बींद रै टिको कियां कढ़सी बां तो विधवा है। अर ओ तो बींद बीनणी रो अमर कोल है। सीमा रो दोन्यूं कात्या बिचै माथौ करै पण कांई? विचार करण लागी।


सीमा कैवण में तो मर सुहागण है, पण लोक लाज रे कारण मांग, लिलाड़ अर कलाईयां साव बांडी। लाम्बी बांयारी कांचली पैर बारणा मांय सगली लुगायां रै भैली जंवाई सा ने निरखे ही, बारणा लैवण ने उतावली पण..।
बो बखत हो जर सीमा आपरी लाडेसर वसुंधरा नै रैय रैय ने बारणा बारे आय आय उडीकै ही। सगला टाबर पोसाल सूं बावड़गा। पण म्हारी लाडेसर अजै आई कोनी। मां..मां..वसुंधरा बस्तो बगावती थकी आवती हाको किनो। सीमा बेटी ने के ताल सूं उडीकै ही उणरी निजर। लाडेसर कानी निजर पड़ी बा सांमी जावै अर बेटी ने गोदी मांय उठाव लिवी।


वसुंधरा अजै पांचेक साल री ही। आ कैवत है कै पूत रा पग पालणै दीसै, कैवत रै मुजब वसुंधरा भणाई पढाई ने हुस्यार, पोसाल मांय सै सूं अगाड़ी। ऐक दिन ऐड़ो आयो के बा कॉलेज तक री भणाई कर दीनी। भाग री बात करड़ी मेहनत रै पांण वसुंधरा तहसीलदार रा ओहदा तांई पूगगी।

वसुंधरा रो सगपण उणरै बराबरी रै ओहदा आला रै सगै तय व्हैगो। आज वो दिन आयगो बींद थलैड़ी पूगो। बींद रे तिलक री वेला ही। अबै लुगायां मांय कानाबाती व्हैवण लागी..सीमा तो विधवा है बींद रे तिलक कियां लगासी। ओ तो सरासर इन्याव है। सीमा भंवरजाल मांय पजगी। विचार करण लागी जिण बखत म्हार  ोधणी देस रे खातर लड़ियो अर दुसमिया सूं झूंझतो झूंझतो पिराण दे दिया हा, म्हारै घर माथै दुख रो मगरो पड़गो हो। उण बखत सगला म्हनै थथोबै हा कै देस री रिच्छा करण आला फौजी री लुगाई तो अमर सुहागण गिणिजैला अर आज तांई सुणतती रही हूं।

पण अबै म्हैं म्हारे कालजा रा टुकडा रै खातर जको बाप रे सहीद व्हियां री टैम फगत चारेक मीना री ही। पाल पोसर मोटी कीनी। भणाई पढ़ाई कर एलकरा बणाई। बा मां आज विधवा कियां गिणिजण लागी। इ ै कांई मानू लोगा री कथनी अर करणी मांय फैर कै समाज मांयै वापरियोड़ी कोजी रीत। सीमा केई ताल ऊंडा विचार सूं कोनी उबर सकी। थलेटी रे मांयला पासे मां रे कनै ऊभी वसुंधरा बोली कांई बात है, मां..? बेटी रे सामी एक निजर देख्यो अर नैणा सूं जल री धार छूटण लागी। ओड़णी रे पल्ला सूं आंसूं पूंछ्या। सैवट बोलर कह्यो ऐ इज लोग म्हनै बीस बरसां पैली क्यूं नी कह्यौ कै सीमा आज थू विधवा व्हैगी। अबै थूं अपसुगनी है।

छैकड़ तोरण माथै ऊभौ बींद बोल्यां मां..जी कुण कैवे आप विधवा हो। फोजी री घरआली तो अमर सुहागण मानीजै, तिलक आप लगाओ। बींद री बात सुण सगला मिनख अर लुगायां रो बाको फाटो रो फाटो रह गियो।

वसुंधरा जोस अबै दुगणो व्हैगो उणरो दियो हियो खिलगो। सीमा सगलां रै सांमी थालती थकी धूजता हाथ सूं तिलक लगावण नै त्यार व्ही। राजी राजी तिलक लगायो। घणकरी लुगायां वैराजी व्है आप आप रे घर कानी टुरगी। पण मौजीज अर भणिया पड़िया लोगों रे समझावण सु सगलो सुलटारो व्हैगो। सगला ने ठाह पड़गो कै समै रहता सगला नै समाज री कोजी रीतां रो त्याग करणो पड़सी। वसुंधरा चवरी मांय सात फेरां लैवण लागी। पंडतर मंतर बोलतो थको कह्यो..अबै कन्यादान करो। सीमा रे हाथ सूं बेटी वसुंधरा रो कन्यादान व्हियो।

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